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हर समय सोच-सोच, चिंता, चिंता, चिंता। यही सोच और चिंता तुम्हारे शरीर को खा जाती है। आदमी को दिल की बीमारी से बचाना है, तो उसको दवा की तरह ध्यान करने को कहा जाना चाहिए। डॉक्टर लोग रोगियों को समझाते हैं समय पर दवाई खाने के लिए, ठीक ऐसे ही अपने रोगियों को अगर वे पूरा-पूरा ठीक हुआ देखना चाहते हैं, तो उन्हें ‘ध्यान’ करना भी सिखाना चाहिए।
Author | Anandmurti Guru Maa |
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ISBN | 8128815156 |
Pages | 322 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128815156 |
हर समय सोच-सोच, चिंता, चिंता, चिंता। यही सोच और चिंता तुम्हारे शरीर को खा जाती है। आदमी को दिल की बीमारी से बचाना है, तो उसको दवा की तरह ध्यान करने को कहा जाना चाहिए। डॉक्टर लोग रोगियों को समझाते हैं समय पर दवाई खाने के लिए, ठीक ऐसे ही अपने रोगियों को अगर वे पूरा-पूरा ठीक हुआ देखना चाहते हैं, तो उन्हें ‘ध्यान’ करना भी सिखाना चाहिए।
ISBN10-8128815156