पं. जवाहरलाल नेहरू का जीवन प्रारंभ से ही अपने तथा अपने परिवार की पृष्ठभूमि में ही अत्यंत रोचक है। पर वह भारतीय स्वतंत्राता संघर्ष और स्वराज की प्राप्ति के उपरांत भारत के निर्माण के साथ जुड़ा है। आजादी के समय और आजादी के बाद जो भूमिका पं. नेहरू की रही है, वह अभूतपूर्व है। नेहरू केवल कल्पनाशील ही नहीं बल्कि संपूर्ण जीवन में कर्मशील भी रहे। अपने विचारों और आदर्शों को उन्होंने अमलीजामा पहनाने की निरंतर कोशिश की है। वे हर मसले की जड़ में जाते थे और अपने सिद्धातों की कसौटी पर तौलते थे। उनके जीवन में आदर्शवाद और कर्मशीलता का अद्भुत मिश्रण है।
पंडित नेहरू पर अनेकों पुस्तकें अंग्रेजी तथा अन्य भारतीय और स्वदेशी भाषाओं में लिखी गई हैं। यही नहीं, उनकी स्वरचित पुस्तकों, लेखों तथा भाषणों के अनुवाद भी अनेक भाषाओं में उपलब्ध् हैं। पं. नेहरू का व्यक्तित्व इतना महती और बहुपक्षीय है कि उसका कोई-न-कोई पक्ष हर एक व्यक्ति को प्रभावित करता है। यह जीवनी लेखक ने साधरण व्यक्तियों और नवयुवकों को दृष्टि में रखते हुए लिखी है, ताकि ऐसे पाठकों में पं. नेहरू के व्यक्तित्व के प्रति उत्सुकता उत्पन्न हो। यह उत्सुकता पाठक को उनकी रचनाओं की ओर भी आकर्षित करेगी।
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