कविता पढ़ने और लिखने की रूचि इन्हें विरासत में मिली है। कुछ अपने पिता से और कुछ गुरुनानाक देव, बाबा शेख फरीद और कबीर जैसे संत कवियों की रचनाएं पढ़कर। इन महापुरुषों की कविताएं साहित्यक, ऊंचाइयों को छूती हैं जिन्हें पढ़ते-पढ़ते अमरजीत ने अपने मस्तिष्क में काव्यमय पर विृतियां उत्पन्न होने लगती हैं।
इनकी मातृ भाषा पंजाबी है और घर में पंजाबी माहौल रहता है। शायद यही कारण है कि इनकी रचनाओं में कहीं-कहीं पंजाबी रंग झलकता दिखई देता है।
भारतीय सभ्यता, संस्कृति, गीत-संगीत में गहरी दिलचस्पी है। फीजी की कई सामाजिक, धार्मिक और साहित्यक संस्थाओं के साथ जुड़े रहने के कारण इन्होंने फीजी की बहुजातीय समाज में अपना विशेष स्थान बना रखा है।
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कविता पढ़ने और लिखने की रूचि इन्हें विरासत में मिली है। कुछ अपने पिता से और कुछ गुरुनानाक देव, बाबा शेख फरीद और कबीर जैसे संत कवियों की रचनाएं पढ़कर। इन महापुरुषों की कविताएं साहित्यक, ऊंचाइयों को छूती हैं जिन्हें पढ़ते-पढ़ते अमरजीत ने अपने मस्तिष्क में काव्यमय पर विृतियां उत्पन्न होने लगती हैं।
इनकी मातृ भाषा पंजाबी है और घर में पंजाबी माहौल रहता है। शायद यही कारण है कि इनकी रचनाओं में कहीं-कहीं पंजाबी रंग झलकता दिखई देता है।
भारतीय सभ्यता, संस्कृति, गीत-संगीत में गहरी दिलचस्पी है। फीजी की कई सामाजिक, धार्मिक और साहित्यक संस्थाओं के साथ जुड़े रहने के कारण इन्होंने फीजी की बहुजातीय समाज में अपना विशेष स्थान बना रखा है।
Additional information
Author | Amarjit Kaur |
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ISBN | 8128804278 |
Pages | 240 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128804278 |