परमपूज्य आचार्य श्री सुदर्शन जी महाराज संपूर्ण मानव जाति को एकता के सूत्र में जोड़ने वाली एक कड़ी के रूप में जाने जाते हैं वे नैतिक शक्ति और प्रभाव के स्रोत हैं पूज्य आचार्य श्री आपसी भाईचारे की भावना का प्रचार-प्रसार कर समस्त मानवता को अपने जीवन जीने की सच्ची राह दिखाते हैं आप साधन संपन्न, स्वस्थ शरीर, मन एवं स्थिर प्रज्ञ सत्य बुदि्ध पाने की युक्ति बताते हैं। वे कहते हैं कि जीवन का चरम लक्ष्य है मुक्ति, मुक्ति अर्थात जीवन चक्र में बार-बार आने और जाने से छुटकारा, जो सिर्फ ईश की परम अनुकम्पा से ही संभव है। परंतु हम उसकी अनुकंपा प्राप्त करने की चेष्टा करने के बजाय निरंतर अपने स्वार्थ पूर्ति में लगे हुए हैं और वह परम कृपालु हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। जरूरत है तो बस उसकी राह में एक कदम चलने की। उसकी परम अनुकंपा द्वार स्वयमेव ही खुल जाएंगे बस ‘एक कदम रख करतो देख’। यह ईश अनुकंपा प्राप्त करने के अभिलाषी सभी के लिए पठनीय, अद्वितीय पुस्तक है।
एक कदम रखकर तो देखो
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परमपूज्य आचार्य श्री सुदर्शन जी महाराज संपूर्ण मानव जाति को एकता के सूत्र में जोड़ने वाली एक कड़ी के रूप में जाने जाते हैं वे नैतिक शक्ति और प्रभाव के स्रोत हैं पूज्य आचार्य श्री आपसी भाईचारे की भावना का प्रचार-प्रसार कर समस्त मानवता को अपने जीवन जीने की सच्ची राह दिखाते हैं आप साधन संपन्न, स्वस्थ शरीर, मन एवं स्थिर प्रज्ञ सत्य बुदि्ध पाने की युक्ति बताते हैं। वे कहते हैं कि जीवन का चरम लक्ष्य है मुक्ति, मुक्ति अर्थात जीवन चक्र में बार-बार आने और जाने से छुटकारा, जो सिर्फ ईश की परम अनुकम्पा से ही संभव है। परंतु हम उसकी अनुकंपा प्राप्त करने की चेष्टा करने के बजाय निरंतर अपने स्वार्थ पूर्ति में लगे हुए हैं और वह परम कृपालु हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। जरूरत है तो बस उसकी राह में एक कदम चलने की। उसकी परम अनुकंपा द्वार स्वयमेव ही खुल जाएंगे बस ‘एक कदम रख करतो देख’। यह ईश अनुकंपा प्राप्त करने के अभिलाषी सभी के लिए पठनीय, अद्वितीय पुस्तक है।
Additional information
Author | Sudarshan Ji |
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ISBN | 8128817612 |
Pages | 248 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128817612 |