पवन कुमार ‘पावन’ साहब द्वारा लिखी गई यह किताब न केवल उर्दू शायरी का मुख़्तसर इतिहास है बल्कि एक मुकम्मल मजमूआ है क्योंकि इसमें उर्दू शायरी की मुकम्मल जानकारी दी गई है, उर्दू शायरी से सम्बन्ध्ति हर चीज़्ा का संक्षेप में विश्लेषण है। शायरी के विकास, उसमें आई तब्दीलियां, उसकी अलग-अलग किस्में सब बातों का जि़्ाक्र एक ही किताब में कर लेखक ने ‘गागर में सागर’ समोई है। इसके अलावा शायरी की खूबियों और कमियों का जि़्ाक्र कर लेखक ने पाठकों की शायरी की समझ का भी विकास करने का प्रयास किया है। साथ ही उर्दू शायरी के नुमायां शायरों के चुनिंदा कलामों को तरतीब के साथ जमा/पेश करके एक खूबसूरत सिलसिला बनाया है, जिसमें पाठक एक हसीन ख़्वाब की तरह डूब के रह जायेगा। लिखने का अन्दाज इतना आसान और रसमय है कि उर्दू शायरी से नावाकिपफ पढ़ने वाला भी शायरी का पूरा मज़्ाा हासिल कर पायेगा। अपनी तहरीर में उर्दू शायरी के रौशन सितारे जनाब ‘बशीर’ बद्र साहब ने सही कहा है किµ‘यह किताब उर्दू शायरी का एक बेहतरीन दस्तावेज है और मोज़्ाूआत तथा लपफज़्ाीयात का एक दिलकश हार है।’ दूसरी तहरीर में जनाब पिफरोज़्ा अहमद साहब जो राजस्थान वि.वि. जयपुर में उर्दू एवं पफारसी विभाग के अध्यक्ष हैं, ने इस किताब को ‘मुपफीदे-मतलब और बामानी’ बताया है।
ओ शायर बेनजीर 2
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पवन कुमार ‘पावन’ साहब द्वारा लिखी गई यह किताब न केवल उर्दू शायरी का मुख़्तसर इतिहास है बल्कि एक मुकम्मल मजमूआ है क्योंकि इसमें उर्दू शायरी की मुकम्मल जानकारी दी गई है, उर्दू शायरी से सम्बन्ध्ति हर चीज़्ा का संक्षेप में विश्लेषण है। शायरी के विकास, उसमें आई तब्दीलियां, उसकी अलग-अलग किस्में सब बातों का जि़्ाक्र एक ही किताब में कर लेखक ने ‘गागर में सागर’ समोई है। इसके अलावा शायरी की खूबियों और कमियों का जि़्ाक्र कर लेखक ने पाठकों की शायरी की समझ का भी विकास करने का प्रयास किया है। साथ ही उर्दू शायरी के नुमायां शायरों के चुनिंदा कलामों को तरतीब के साथ जमा/पेश करके एक खूबसूरत सिलसिला बनाया है, जिसमें पाठक एक हसीन ख़्वाब की तरह डूब के रह जायेगा। लिखने का अन्दाज इतना आसान और रसमय है कि उर्दू शायरी से नावाकिपफ पढ़ने वाला भी शायरी का पूरा मज़्ाा हासिल कर पायेगा। अपनी तहरीर में उर्दू शायरी के रौशन सितारे जनाब ‘बशीर’ बद्र साहब ने सही कहा है किµ‘यह किताब उर्दू शायरी का एक बेहतरीन दस्तावेज है और मोज़्ाूआत तथा लपफज़्ाीयात का एक दिलकश हार है।’ दूसरी तहरीर में जनाब पिफरोज़्ा अहमद साहब जो राजस्थान वि.वि. जयपुर में उर्दू एवं पफारसी विभाग के अध्यक्ष हैं, ने इस किताब को ‘मुपफीदे-मतलब और बामानी’ बताया है।
ISBN10-8128821997
Additional information
Author | Pavan Kumar |
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ISBN | 9790000000000 |
Pages | 202 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128821997 |