Kaka Ki Pati
काका की पाती
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काका हाथरसी ने अपने जीवनकाल में हास्यरस को भरपूर जिया था। वे और हास्य आपस में इतने घुलमिल गए हैं कि हास्यरस कहते ही उनका चित्र सामने आ जाता है।
कविताओं के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन में और पिर व्यक्तिगत पत्रों में भी उनका वही परिहास प्रधान रूप जीवंत हो उठता है। इस पुस्तक में काका द्वारा निरंतर तीन दशक तक डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल और डॉ. मीना अग्रवाल को लिखे गए पत्रों में से कुछ महत्वपूर्ण पत्रों को प्रकाशित किया जा रहा है।
Additional information
Author | Kaka Hathrasi |
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ISBN | 8128803786 |
Pages | 168 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128803786 |