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कुछ फूल और कुछ कांटे

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“हर पुरुष जीवन भर कहीं बच्चा ही बना रहता है और हर नारी चाहे बच्ची ही क्यों न हो हमेशा मां बनी रहती है।

नारियों को सम्मानित करने के लिए यह कहना ही र्प्याप्त है कि उनका शरीर वह महान भूमि है जो अव्यक्त आत्मा को भौतिक शरीर के माध्यम से व्यक्त करने का महान कार्य सम्मादित करता है।

किसी घर में खुशियां बिखेर देना या मनहूसियत पैफला देना स्त्रिायों के लिए सामान्य सी बात है।

हर व्यक्ति में बड़ी से बड़ी कल्पना करने की क्षमता है किन्तु उन कल्पनाओं को साकार करने के लिए पुरुषार्थ बहुत कम व्यक्तियों में होता है।

अमानवीय कहे जाने वाले जितने भी कर्म हैं वे सभी पूरी तरह मानवीय हैं क्योंकि एक मानव ही तथाकथित अमानवीय कार्य करता है।

अधिकाश अकर्मण्य व्यक्ति जो एक लक्ष्यविहीन जीवन जी रहे होते हैं, की मानसिक स्थिति उन हिजड़ों की तरह होती है, जो जहां भी कोई उत्सव होता देखते हैं वहीं ताली बजाने पहुंच जाते हैं।

जागृत सुषुम्ना में जो प्राण होते हैं उन्हें आत्रोय कहा जाता है। जिस भी साध्क का संबंध् सुषुम्ना स्थित आत्रोय से हो सका है वही योगी महागुरु दत्तत्रोय की कृपा प्राप्त करने की आशा कर सकता है।

Additional information

Author

Shailendra Sharma

ISBN

9789350839522

Pages

24

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

9350839520

“हर पुरुष जीवन भर कहीं बच्चा ही बना रहता है और हर नारी चाहे बच्ची ही क्यों न हो हमेशा मां बनी रहती है।
नारियों को सम्मानित करने के लिए यह कहना ही र्प्याप्त है कि उनका शरीर वह महान भूमि है जो अव्यक्त आत्मा को भौतिक शरीर के माध्यम से व्यक्त करने का महान कार्य सम्मादित करता है।
किसी घर में खुशियां बिखेर देना या मनहूसियत पैफला देना स्त्रिायों के लिए सामान्य सी बात है।
हर व्यक्ति में बड़ी से बड़ी कल्पना करने की क्षमता है किन्तु उन कल्पनाओं को साकार करने के लिए पुरुषार्थ बहुत कम व्यक्तियों में होता है।
अमानवीय कहे जाने वाले जितने भी कर्म हैं वे सभी पूरी तरह मानवीय हैं क्योंकि एक मानव ही तथाकथित अमानवीय कार्य करता है।
अधिकाश अकर्मण्य व्यक्ति जो एक लक्ष्यविहीन जीवन जी रहे होते हैं, की मानसिक स्थिति उन हिजड़ों की तरह होती है, जो जहां भी कोई उत्सव होता देखते हैं वहीं ताली बजाने पहुंच जाते हैं।
जागृत सुषुम्ना में जो प्राण होते हैं उन्हें आत्रोय कहा जाता है। जिस भी साध्क का संबंध् सुषुम्ना स्थित आत्रोय से हो सका है वही योगी महागुरु दत्तत्रोय की कृपा प्राप्त करने की आशा कर सकता है। “

ISBN10-9350839520

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