ओशो परम दुर्लभ घटना हैं अस्तित्व की। बुद्धत्व की उपलब्धि में सदियों-सदियों, जन्मों-जन्मों का एक तूफान शांत होता है परम समाधान को प्राप्त होता है और अस्तित्व उसमें नए रंग लेता है। अस्तित्व का परम सौंदर्य उसमें खिलता है, श्रेष्ठतम पुष्प विकसित होते हैं और अस्तित्ववान ऊंचाई का एक परम शिखर, एक नया गौरीशंकर, वहां उस व्यक्ति की परम शून्यता में निर्मित हो उठता है। ऐसा व्यक्ति अपने स्वभाव के अंतिम बिंदु में स्थित हो जाता है, जहां से बुद्ध के भीतर का बुद्ध बोल उठता है, कृष्ण बोल उठता है, क्राइस्ट के भीतर का क्राइस्ट बोल उठता है, पतंजलि के भीतर का पतंजलि बोल उठता है, लाओत्से के भीतर का लाओत्से बोल उठता है और लाखों-लाखों और तूफान परम समाधान की दिशा में मार्गदर्शन पाते हैं।
कृष्ण और हंसता हुआ धर्म
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ओशो परम दुर्लभ घटना हैं अस्तित्व की। बुद्धत्व की उपलब्धि में सदियों-सदियों, जन्मों-जन्मों का एक तूफान शांत होता है परम समाधान को प्राप्त होता है और अस्तित्व उसमें नए रंग लेता है। अस्तित्व का परम सौंदर्य उसमें खिलता है, श्रेष्ठतम पुष्प विकसित होते हैं और अस्तित्ववान ऊंचाई का एक परम शिखर, एक नया गौरीशंकर, वहां उस व्यक्ति की परम शून्यता में निर्मित हो उठता है। ऐसा व्यक्ति अपने स्वभाव के अंतिम बिंदु में स्थित हो जाता है, जहां से बुद्ध के भीतर का बुद्ध बोल उठता है, कृष्ण बोल उठता है, क्राइस्ट के भीतर का क्राइस्ट बोल उठता है, पतंजलि के भीतर का पतंजलि बोल उठता है, लाओत्से के भीतर का लाओत्से बोल उठता है और लाखों-लाखों और तूफान परम समाधान की दिशा में मार्गदर्शन पाते हैं।
Additional information
Author | Osho |
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ISBN | 8128804901 |
Pages | 152 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128804901 |