क्‍योंकि मैं मुर्गा हूं

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हिन्‍दी और उर्दू के लब्‍धप्रतिष्ठित हस्‍ताक्षर राजकुमार सचान ‘होरी’ जी अपनी कई महत्‍वपूर्ण कृतियों के सृजन द्वारा साहित्‍य की री सम्‍पदा की अभिवृद्धि कर चुके हैं। समकालीन काव्‍य-जगत में संभवत यह पहला ही साहसिक प्रयास है, जहां किसी कवि ने कविता जैसी नाजुक, नजाकत और नफासत वाली सार्थक और समर विद्या में मुर्गे जैसे अवश और विवश प्राणी के अचिह्नें अस्तित्‍व को न केवल रेखांकित करने का सारस्‍वत प्रयास किया है, बल्कि इसे सामाजिक-आर्थिक विसंगतियों और विद्रूपताओं को व्‍यक्‍त–अभिव्‍यक्‍त करने वाला कारगर माध्‍यम भी बनाया है। यह हिंदी काव्‍य संसार में एक अस्‍वीकृत दर्द की महाकाव्‍य में काव्‍यांतरित होने की रचनात्‍मक सूचना है एक संपन्‍न रचनाकार की काव्‍यक्षमताओं के अनंत हो जाने का अक्षर-उत्‍सव है। मुर्गे के दर्द के जरिये समकालीन परिदृश्‍य ही काव्‍यमयी पड़ताल है आम आदमी के दर्द को अभिव्‍यक्ति देने का महती अनुष्‍ठान है, क्‍योंकि आज काव्‍य-संग्रहों की भीड़ में, अपने मौलिक तथ्‍य और कथ्‍य की दीप्ति और प्रदीप्ति से एक जाज्‍वल्‍य उपस्थिति की उपलब्‍धता अर्जित करने की समग्र पात्रता रखने वाला एक आवश्‍यक काव्‍य-संग्रह है।

Additional information

Author

Rajkumar Sachan Hori

ISBN

9790000000000

Pages

112

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128820249

हिन्‍दी और उर्दू के लब्‍धप्रतिष्ठित हस्‍ताक्षर राजकुमार सचान ‘होरी’ जी अपनी कई महत्‍वपूर्ण कृतियों के सृजन द्वारा साहित्‍य की री सम्‍पदा की अभिवृद्धि कर चुके हैं। समकालीन काव्‍य-जगत में संभवत यह पहला ही साहसिक प्रयास है, जहां किसी कवि ने कविता जैसी नाजुक, नजाकत और नफासत वाली सार्थक और समर विद्या में मुर्गे जैसे अवश और विवश प्राणी के अचिह्नें अस्तित्‍व को न केवल रेखांकित करने का सारस्‍वत प्रयास किया है, बल्कि इसे सामाजिक-आर्थिक विसंगतियों और विद्रूपताओं को व्‍यक्‍त–अभिव्‍यक्‍त करने वाला कारगर माध्‍यम भी बनाया है। यह हिंदी काव्‍य संसार में एक अस्‍वीकृत दर्द की महाकाव्‍य में काव्‍यांतरित होने की रचनात्‍मक सूचना है एक संपन्‍न रचनाकार की काव्‍यक्षमताओं के अनंत हो जाने का अक्षर-उत्‍सव है। मुर्गे के दर्द के जरिये समकालीन परिदृश्‍य ही काव्‍यमयी पड़ताल है आम आदमी के दर्द को अभिव्‍यक्ति देने का महती अनुष्‍ठान है, क्‍योंकि आज काव्‍य-संग्रहों की भीड़ में, अपने मौलिक तथ्‍य और कथ्‍य की दीप्ति और प्रदीप्ति से एक जाज्‍वल्‍य उपस्थिति की उपलब्‍धता अर्जित करने की समग्र पात्रता रखने वाला एक आवश्‍यक काव्‍य-संग्रह है।

ISBN10-8128820249

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