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कृवृक्ष के फलों का उपभोग मनुष्य अथवा अन्य प्राणी करते है, नदियाँ स्वयं अपना जल नहीं पीतीं और खेतों को लहलहाने वाले मेघ स्वयं उस अन्न का उपभोग नहीं करते, इसी प्रकार सज्जनों का अस्तित्व भी परोपकार के लिए होता है। उपरोक्त पंक्तियाँ ममता की मूर्ति माँ टेरेसा के जीवन पर अक्षरशः चरितार्थ होती हैं। उनका सारा जीवन दुःखियों, दरिद्रों, भूखों, पीड़ितों, रोगियों एवं विकलांगां की सेवा का पर्याय बन गया था।
आज एक ओर अनन्त का अन्त पाने का प्रयास हो रहे है, वहीं हम मानव समाज की मूलभूत आवश्यकताओं की उपेक्षा कर रहे हैं। बस, इसी ज्वलंत समस्या को पहचाना था ममतामयी माँ टेरेसा ने। यही उनकी विशिष्टता थी, यही उनकी महानता थी। सेवा ही उनके जीवन का परम लक्ष्य था। अपने इस लक्ष्य पर न तो उन्हें गर्व था न ही अभिमान था। इसी विशेषता के कारण सारा विश्व उनके समक्ष श्रद्वा से नतमस्तक हो जाता था इसीलिए वह माँ थीं। वह ममता की, प्रेम की, स्नेह की, दया की, करूणा की प्रतिमूर्ति थी। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित विश्व प्रसिद्ध समाज सेविका ‘मदर टेरेसा’ की संपूर्ण जीवनगाथा यहां
Author | Mahesh Dutt Sharma |
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ISBN | 8128805797 |
Pages | 128 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128805797 |
कृवृक्ष के फलों का उपभोग मनुष्य अथवा अन्य प्राणी करते है, नदियाँ स्वयं अपना जल नहीं पीतीं और खेतों को लहलहाने वाले मेघ स्वयं उस अन्न का उपभोग नहीं करते, इसी प्रकार सज्जनों का अस्तित्व भी परोपकार के लिए होता है। उपरोक्त पंक्तियाँ ममता की मूर्ति माँ टेरेसा के जीवन पर अक्षरशः चरितार्थ होती हैं। उनका सारा जीवन दुःखियों, दरिद्रों, भूखों, पीड़ितों, रोगियों एवं विकलांगां की सेवा का पर्याय बन गया था।
आज एक ओर अनन्त का अन्त पाने का प्रयास हो रहे है, वहीं हम मानव समाज की मूलभूत आवश्यकताओं की उपेक्षा कर रहे हैं। बस, इसी ज्वलंत समस्या को पहचाना था ममतामयी माँ टेरेसा ने। यही उनकी विशिष्टता थी, यही उनकी महानता थी। सेवा ही उनके जीवन का परम लक्ष्य था। अपने इस लक्ष्य पर न तो उन्हें गर्व था न ही अभिमान था। इसी विशेषता के कारण सारा विश्व उनके समक्ष श्रद्वा से नतमस्तक हो जाता था इसीलिए वह माँ थीं। वह ममता की, प्रेम की, स्नेह की, दया की, करूणा की प्रतिमूर्ति थी। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित विश्व प्रसिद्ध समाज सेविका ‘मदर टेरेसा’ की संपूर्ण जीवनगाथा यहां ISBN10-8128805797
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