Govind Geeta
गोविन्द गीता
₹125.00
In stock
Other Buying Options
प्रयास से सम्भव नहीं, यदि हो सकता है तो बिना प्रयास के_ कदाचित इस अनुपम, अद्भुत और परालौकिक साहित्य के विषय में और कुछ कह पाना सम्भव नहीं। सम्भव है परमात्मा भी प्रयास से प्राप्त करने की वस्तु नहीं_ अपितु सारे प्रयास गिरा देने का नाम है।
जब भी किसी असाधारण साहित्य की रचना विश्व में हुई है रचनाकार ने सदैव अपने को विसर्जित ही माना है और बार-बार इस बात पर ही बल दिया है कि इसमें मेरा कुछ नहीं। यह प्रभु के द्वारा है। कुछ समयोपरान्त उन रचनाओं को समाज द्वारा ईश्वरकृत ही मान लिया गया। रचयिता समाप्त हो गया और रचना मात्र ही शेष रह गयी। कुरान, बाइबिल, गुरूग्रन्थ साहब एवं श्रीमदभगवदगीता ऐसे ही साहित्यों में से एक है जो अपनी कोटि आप ही निर्मित करते हैं। गोस्वामी तुलसीदास से लेकर रवीन्द्रनाथ टेगोर तक, सभी महान रचनाकारों ने अपने को अपनी महानतम कृतियों का साक्षी ही माना है।
गीता के अठारह अध्याय पतंजलि के सहज अष्टांग योग से लेकर अष्टावक्र के गूढ़तम ज्ञान तक की यात्र, एक जनसामान्य को सहजता से उपलब्ध कराने की क्षमता रखते हैं
श्रीकृष्ण व्यक्ति के रूप् में मनुष्य की चरम सम्भावना को प्राप्त करते हैं। यह जनसामान्य के लिए संदेश भी है, कि विश्व में मनुष्य की चेतना इतनी विस्तारमय हो सकती है कि हजारों-हजार ज्वालामुखी शान्त हो जाते हैं, समय का चक्र स्थिर हो जाता है और मनुष्य कालातीत होकर कृष्णत्व को उपलब्ध होता है।
ISBN10-9351659917
Additional information
Author | Govind Madhav Shukla Madhav |
---|---|
ISBN | 9789351659914 |
Pages | 48 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Toons |
ISBN 10 | 9351659917 |
Related Products
Related products
Social Media Posts
This is a gallery to showcase images from your recent social posts