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एक दिन एक बूढ़ी औरत राजा के पास आती है और निवेदन करती है कि उसके इकलौते पोते को बचा लें जिसे अंत में खदान में जाते हुए देखा गया था। राजा उसी समय एक टुकडी सेना उस खदान में भेजता है, परन्तु सभी ब्रह्मभट्ट के अभिशाप का शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा कालिया और उसके साथी ढोलू एवं भोलू का भी ऐसा ही हाल होता है। अंत में भीम और उसकी टीम उस खदान में प्रवेश करती है। एक-एक करके राजू, छुटकी और जग्गू भी सोने के लालच में आकर वहाँ फँस जाते हैं। केवल भीम ही सोने के लालच में नहीं पड़ता और वह सभी जंगली जानवरों को हरा देता है। इसके बाद वह सभी बंदियों और संग्रहित सोने को उस जादुई चंगुल से छुड़ाकर घर ले जाता है।
Author | Rajeev Chilka |
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ISBN | 9789382562481 |
Pages | 96 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 9382562486 |
एक दिन एक बूढ़ी औरत राजा के पास आती है और निवेदन करती है कि उसके इकलौते पोते को बचा लें जिसे अंत में खदान में जाते हुए देखा गया था। राजा उसी समय एक टुकडी सेना उस खदान में भेजता है, परन्तु सभी ब्रह्मभट्ट के अभिशाप का शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा कालिया और उसके साथी ढोलू एवं भोलू का भी ऐसा ही हाल होता है। अंत में भीम और उसकी टीम उस खदान में प्रवेश करती है। एक-एक करके राजू, छुटकी और जग्गू भी सोने के लालच में आकर वहाँ फँस जाते हैं। केवल भीम ही सोने के लालच में नहीं पड़ता और वह सभी जंगली जानवरों को हरा देता है। इसके बाद वह सभी बंदियों और संग्रहित सोने को उस जादुई चंगुल से छुड़ाकर घर ले जाता है। ISBN10-9382562486