जंगली जानवर और आदमी

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‘जंगल, जानवर और आदमी’ अपने शीर्षक में प्रयुक्‍त पूर्वा पर शब्‍दों की उत्‍तरोत्‍तर विकास-यात्रा है। यह एक ओर मानव की विकास-यात्रा के क्रम में अनेक रहस्‍यों का उद्घाटन करने वाला ग्रंथ है तो दूसरी ओर पर्यावरण-परिरक्षण एवं प्रदूषण-निवारण का तत्‍व-चिंतन भी है। यह कितनी बड़ी विडंबना है कि पशु आत्‍महत्‍या नहीं करते, जबकि मनुष्‍य करता है। मनुष्‍य मूलत शाकाहारी प्राणी है, किंतु दुर्भाग्‍य-वश वह मांसाहारी बन गया है। और उचित प्राकृतिक जीवन भूल गया हैं। आचार्य निशांतकेतु मूलत कवि और कथाकार हैं, आपने लघुकथा, संस्‍मरण, ललितनिबंध, आलोचना, पुस्‍तक-समीक्षा और साहित्‍येतिहास जैसी साहित्‍य विधाओं में विपुल साहित्‍य की रचना की है। बाल-साहित्‍य, भाषा-विज्ञान, वाग्ज्ञिान, भू-भाषिकी पाठाचेलन और व्‍याकरण जैसे विषयों पर भी आपके अनेक ग्रंथ प्रकाशित हैं।

राजेश शर्मा

Additional information

Author

Nishantketu

ISBN

8128817191

Pages

344

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128817191

‘जंगल, जानवर और आदमी’ अपने शीर्षक में प्रयुक्‍त पूर्वा पर शब्‍दों की उत्‍तरोत्‍तर विकास-यात्रा है। यह एक ओर मानव की विकास-यात्रा के क्रम में अनेक रहस्‍यों का उद्घाटन करने वाला ग्रंथ है तो दूसरी ओर पर्यावरण-परिरक्षण एवं प्रदूषण-निवारण का तत्‍व-चिंतन भी है। यह कितनी बड़ी विडंबना है कि पशु आत्‍महत्‍या नहीं करते, जबकि मनुष्‍य करता है। मनुष्‍य मूलत शाकाहारी प्राणी है, किंतु दुर्भाग्‍य-वश वह मांसाहारी बन गया है। और उचित प्राकृतिक जीवन भूल गया हैं। आचार्य निशांतकेतु मूलत कवि और कथाकार हैं, आपने लघुकथा, संस्‍मरण, ललितनिबंध, आलोचना, पुस्‍तक-समीक्षा और साहित्‍येतिहास जैसी साहित्‍य विधाओं में विपुल साहित्‍य की रचना की है। बाल-साहित्‍य, भाषा-विज्ञान, वाग्ज्ञिान, भू-भाषिकी पाठाचेलन और व्‍याकरण जैसे विषयों पर भी आपके अनेक ग्रंथ प्रकाशित हैं।

राजेश शर्मा

ISBN10-8128817191

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