जल में कमल

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कर्म-संन्‍यास विश्राम की अवस्‍था, आलस्‍य की नहीं। कर्मयोग और कर्म-संन्‍यास दोनों के लिए शक्ति की जरूरत है दोनों के लिए। आलसी दोनों नहीं हो सकते। आलसी कर्मयोगी तो हो ही नहीं सकता, क्‍योंकि कर्म करने की ऊर्जा नहीं है। आलसी कर्मत्‍यागी भी नहीं हो सकता, क्‍योंकि कर्म के त्‍याग के लिए भी विराट ऊर्जा की जरूरत है। जितनी कर्म को करने के लिए जरूरत है, उतनी ही कर्म को छोड़ने के लिए जरूरत है। हीरे को पकड़ने के लिए मुट्ठी में जितनी ताकत चाहिए, हीरे को छोड़ने के लिए और भी ज्‍यादा ताकत चाहिए। देखें छोड़कर, तो पता चलेगा। एक रुपये को हाथ में पकड़े हुए खड़े रहे सड़क पर, और फिर छोड़ें। पता चलेगा कि पकड़ने में कम ताकत लग रही थी, छोड़ने में ज्‍यादा ताकत लग रही है।

जल में कमल-0
जल में कमल
250.00

Jal Mein Kamal

Additional information

Author

Osho

ISBN

8189605739

Pages

304

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Fusion Books

ISBN 10

8189605739