हमें जीवन के रहस्यों को जानने के लिए होशपूर्वक, आनन्दपूर्वक, शुद्ध मन से, स्वस्थ, जाग्रत और प्रेमपूर्वक प्रवेश करना पड़ेगा । और जो संसार में रहते हुए, हर हालात में खुश रहते हुए, अपने ही शरीर के भीतर प्रवेश करके, अपने आप को जान लेता है, उसके लिए परमात्मा के द्वार खुल जाते हैं । ऐसा व्यक्ति जीवन को तो अमृत बना ही लेता है, और साथ ही साथ मृत्यु को भी अमृत का द्वार बनाने की उसके हाथ मास्टर चाबी आ जाती है । ऐसा मनुष्य मृत्यु के भी पार हो जाता है । उठो ! आप अपने शरीर के मालिक हो, और इस देह में मालिकों का भी मालिक छिपा है । आप सागर हो । जि़न्दगी के बहुत से ख़ज़ाने आपके भीतर छुपे पड़े हैं । अपने भीतरी सागर में डुबकी लगाओ । पहचानो अपनी आत्मा को । पहचानो आपने आप को, आप कौन हो ?और क्या कर रहे हो? जो अपने आपको पहचान लेता है, वो परमात्मा को पहचान ही लेता है । और जो परमात्मा को पहचान लेता है, उसे फिर पत्ते-पत्ते में परमात्मा दिखाई देता है।
जीवन प्रेम और मृत्यु का सुन्दर रहस्य
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हमें जीवन के रहस्यों को जानने के लिए होशपूर्वक, आनन्दपूर्वक, शुद्ध मन से, स्वस्थ, जाग्रत और प्रेमपूर्वक प्रवेश करना पड़ेगा । और जो संसार में रहते हुए, हर हालात में खुश रहते हुए, अपने ही शरीर के भीतर प्रवेश करके, अपने आप को जान लेता है, उसके लिए परमात्मा के द्वार खुल जाते हैं । ऐसा व्यक्ति जीवन को तो अमृत बना ही लेता है, और साथ ही साथ मृत्यु को भी अमृत का द्वार बनाने की उसके हाथ मास्टर चाबी आ जाती है । ऐसा मनुष्य मृत्यु के भी पार हो जाता है । उठो ! आप अपने शरीर के मालिक हो, और इस देह में मालिकों का भी मालिक छिपा है । आप सागर हो । जि़न्दगी के बहुत से ख़ज़ाने आपके भीतर छुपे पड़े हैं । अपने भीतरी सागर में डुबकी लगाओ । पहचानो अपनी आत्मा को । पहचानो आपने आप को, आप कौन हो ?और क्या कर रहे हो? जो अपने आपको पहचान लेता है, वो परमात्मा को पहचान ही लेता है । और जो परमात्मा को पहचान लेता है, उसे फिर पत्ते-पत्ते में परमात्मा दिखाई देता है।
Additional information
Author | Maa Sudeshi Buddha |
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ISBN | 9788128826467 |
Pages | 544 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128826468 |