ज्‍योतिष और लक्ष्‍मी योग मकर लग्‍न फल

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“सदगुरु मिलै तो पाइये भक्ति मुक्ति भंडार।”
और दादू कहते हैं, भक्ति पा ली, तो मुक्ति पाली। भक्‍त के लिए, प्रेमी के लिए मुक्ति की कोई आकांक्षा ही नहीं है। वह कहता है, प्रेम मिल गया परमात्‍मा का बरस गया उसका मेघ ऊपर।हो गये उसके स्‍नेह से सिक्‍त-पा लिया सब-भक्ति भंडार भक्‍त मोक्ष की आकांक्षा नहीं करता।
“दादू सहजै देखिये साहिब का दीदार।”
दादू कहते हैं, कोई मुक्ति की जरूरत नही। बस, इतना काफी है, कि तेरे दर्शन हो जाएं। आंखे तुझे देख लें, बस। हृदय तुझे पहचान ले, बस। चरण तेरे नृत्‍य से भर जाएं, बस।
ओशो द्वारा दादू-वाणी पर दिए गए दस अमृत प्रवचनों के संकलन ‘पिव पिव लागी प्‍यास’ से लिए गए पांच (6-10) प्रवचन

ज्‍योतिष और लक्ष्‍मी योग मकर लग्‍न फल-0
ज्‍योतिष और लक्ष्‍मी योग मकर लग्‍न फल
125.00

Jyotish Aur Laxmi Yog Makar Laganphal

Additional information

Author

Kamal Radha Krishan Srimali

ISBN

8184194234

Pages

232

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8184194234