तेरे साथ की आदत
तेरे साथ की आदत
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शशिकांत ‘सदैव’ का ग़ज़ल संग्रह ‘तेरे साथ की आदत’ अन्य ग़ज़ल संग्रहों से बहुत भिन्न है। यह ग़ज़लें मात्र मनोरंजन या गुनगुनाने तक ही सिमित नहीं है बल्कि यह पाठक के लिए औषधि का काम करतीं हैं। सच तो यह है यह संग्रह लोंगो के लिए उपचार की तरह हैं ,जिसे हर पढ़ने वाले को राहत के साथ -साथ इस बात का भी इत्मिनान होता है की कोई है जो उसे बिना मिले , बिना जाने इतनी गहराई से जान व समझ सकता है। प्यार एवं रिश्तों से जुड़े सभी भाव जैसे इज़हार, इंतज़ार, तन्हाई, रुस्वाई, उम्मीद , कश्मकश , मज़बूरी , बेबसी ,शिकायत, आदत, खमोशी, मदहोशी ,जुदाई , बेवफाई आदि मनोभावों को बड़ी ही बारीकी से ग़ज़लों में ढ़ाला गया है या यूँ कहें यह सब शशिकांत ‘सदैव’ की ग़ज़लों का रूप लेकर इस संग्रह में उभरें हैं। इतना ही नहीं जीवन, दर्शन, मनोविज्ञान एवं इबादत की झलक भी कई ग़ज़लों में बखूबी दिखती है। यह संग्रह सिर्फ उनके लिए ही नहीं है जो ग़ज़लों या कविताओं का शौक रखतें हैं बल्कि उनके लिए भी है जिन्हें लगता है कि वो अकेले हैं और उन्हें, उनके जज़्बातों को कोई नहीं समझ सकता। हर उम्र और भाव को व्यक्त करता है यह संग्रह। यही बात इस संग्रह को अद्भुत और अनूठा बनती है।
Additional information
Author | Shashikant Sadaiv |
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ISBN | 9789351653318 |
Pages | 400 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 9351653315 |