बढ़ती जनसंख्या एक ऐसा विषवृक्ष है जिसकी जड़ एवं शाखा घोटाले, महंगाई, बेरोजगारी, निजंगलीकरण, भ्रष्टाचार का रूप धारण कर देश को लीलता जा रहा है। नेताओं का मायावी रूप, उनका जाति—धर्म, शोषण—शासन एवं कालाधन नीति के आधार पर अपना उल्लू सीधा करना आम बात हो गयी है। दुनियाभर मेंं इसके दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। हर जगह भीड़ और लंबी कतारें दिखती हैं। रोमांचकारी और देशभक्ति की भावना से भरपूर कहानी में इन ज्वलंत विषयों की माला अच्छी तरह पिरोयी मिलती है। इस बीच रेप-रेप नामक खेल, 3जी लव, शराब, पत्रकारिता, जाति धर्म का विश्लेषण पूरे उपन्यास को रोमांचक, चुटिला एवं वैश्विक बनाता है।
कालीदास चटर्जी, पेशे से शिक्षक हैं। वे अपने छात्रों में सर मोहित के नाम से जाने जाते हैं। प्रकृति, पशु एवं देश प्रेम की भावना इनकी धमनियों मेंं बहता है। जंगल में घूमना, पशुओं को निहारना, पर्यटन, क्रिकेट आदि इन्हें खूब भाता है। वे दुनिया में भारतीय संस्कृति के प्रचारक बनना चाहते हैं।