दिल्‍ली दरवाजा

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दिल्ली दरवाजा प्रख्यात कथाकार राजेन्द्र अवस्थी का राजनीतिक उपन्यास है। इसमें आज की राजनीति और व्यवस्था का बहुत ही सजीव चित्रण है। बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रणय-कथा के केन्द्र-मांडू को कौन नहीं जानता? इस उपन्यास में उसी इतिहास-प्रसिद्धि मांडू को आज की राजनीति से जोड़ा गया है। जिस प्रकार मांडू के इतिहास ने कई करवटें लीं, उसी प्रकार वहां विश्राम करने आए एक पूर्व विदेश मंत्री की किस्मत ने भी पलटा खाया और वह देखते देखते प्रधानमंत्री पद के दावेदार की शक्ल में उभर कर सामने आया। अपने पाठक को शुरू से अंत तक बांधे रखता है यह उपन्यास। तमाम घटनाक्रम इस तरह बदलते हैं कि रोमांच हो उठता है। चुस्त और सरल भाषा ने इसे और भी पाठनीय बना दिया है।

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दिल्ली दरवाजा प्रख्यात कथाकार राजेन्द्र अवस्थी का राजनीतिक उपन्यास है। इसमें आज की राजनीति और व्यवस्था का बहुत ही सजीव चित्रण है। बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रणय-कथा के केन्द्र-मांडू को कौन नहीं जानता? इस उपन्यास में उसी इतिहास-प्रसिद्धि मांडू को आज की राजनीति से जोड़ा गया है। जिस प्रकार मांडू के इतिहास ने कई करवटें लीं, उसी प्रकार वहां विश्राम करने आए एक पूर्व विदेश मंत्री की किस्मत ने भी पलटा खाया और वह देखते देखते प्रधानमंत्री पद के दावेदार की शक्ल में उभर कर सामने आया। अपने पाठक को शुरू से अंत तक बांधे रखता है यह उपन्यास। तमाम घटनाक्रम इस तरह बदलते हैं कि रोमांच हो उठता है। चुस्त और सरल भाषा ने इसे और भी पाठनीय बना दिया है।

Additional information

Author

Rajendra Awasthi

ISBN

9790000000000

Pages

152

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128823140