आप मानें या ना माने पर जिन्दगी की सच्चाई यह है कि 90 प्रतिशत से अधिक पुरुष एवं महिलाये भारत में ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में, अपने दिल की बात दूसरे से नहीं कह पाते। जब हम अपने दिल की बात दूसरे सेे नहीं कह सकते तो एक अजीब-सी घुटन उत्पन्न होती है और मन विचलित रहता है। यह पुस्तक संपूर्ण मानव जाति के फायदे के लिए लिखी गई है ताकि हर पाठक को यह पता चल सके कि केवल वह ही नहीं बल्कि लाखों-करोड़ों व्यक्ति अपने दिल की बात दूसरों से नहीं कह पाते। यह वास्तव में जिन्दगी की कड़वी सच्चाई है तो ऐसे में क्या करें हम, यह प्रश्न बार-बार मेरे और आपके मन में आता है। उत्तर बड़ा सीधा-सा है कि आप प्रभु को समर्पित कर दें अपने दिल की बात और घुटन रहित जिन्दगी बिताएं। वहीं दूसरा तरीका यह है कि आप कम-से-कम पांच सच्चे-अच्छे दोस्तों की तलाश प्रारंभ करें और अगर आपकी यह तलाश पूरी हो जाए तो समझ लीजिये कि आपके जीवन में नई रोशनी आयेगी।
दिल की बात किससे कहे और कैसे
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आप मानें या ना माने पर जिन्दगी की सच्चाई यह है कि 90 प्रतिशत से अधिक पुरुष एवं महिलाये भारत में ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में, अपने दिल की बात दूसरे से नहीं कह पाते। जब हम अपने दिल की बात दूसरे सेे नहीं कह सकते तो एक अजीब-सी घुटन उत्पन्न होती है और मन विचलित रहता है। यह पुस्तक संपूर्ण मानव जाति के फायदे के लिए लिखी गई है ताकि हर पाठक को यह पता चल सके कि केवल वह ही नहीं बल्कि लाखों-करोड़ों व्यक्ति अपने दिल की बात दूसरों से नहीं कह पाते। यह वास्तव में जिन्दगी की कड़वी सच्चाई है तो ऐसे में क्या करें हम, यह प्रश्न बार-बार मेरे और आपके मन में आता है। उत्तर बड़ा सीधा-सा है कि आप प्रभु को समर्पित कर दें अपने दिल की बात और घुटन रहित जिन्दगी बिताएं। वहीं दूसरा तरीका यह है कि आप कम-से-कम पांच सच्चे-अच्छे दोस्तों की तलाश प्रारंभ करें और अगर आपकी यह तलाश पूरी हो जाए तो समझ लीजिये कि आपके जीवन में नई रोशनी आयेगी।
Additional information
Author | Subhash Lakhotia |
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ISBN | 9789350832127 |
Pages | 96 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 9350832127 |