विशुद्ध भारतीय परम्परा के कुछ सामिष व्यंजन ऐसे हैं जिन्हें हर मिष्ठान सूप या भोजन-विद्या विशेषज्ञ अपने ‘खाना-खजाना’ में रखना चाहेगा। ऐसी कौन-सी जबान है जो महकती हैदराबादी बिरयानी, धुआं देता कड़कड़ा तन्दूरी चिकन या घुलनधील प्रॉन विण्डालू को देखकर बेताबी से न लपलपाने लगें। यह वो व्यंजन हैं जो बिल्कुल निस्तेज हुई स्वादग्रंथियों में भी आस्वादन की चाह जगा देते हैं और उनके मुंह में भी पानी भरने लगता है।
यह पुस्तक न सिर्फ पुराने व्यंजनों को और सर्वथा नई विधियों और प्रयोगों से उन्हें बनाने का प्रयत्न करती है वरन कई एक व्यंजनों के इर्द-गिर्द सदियों से प्रचलित भ्रम भी तोड़ती है कि इन्हें हर कोई नहीं बना सकता। वे सारी व्यंजन-विधियां अपनी पूरी विशिष्टता और प्रयोगात्मकता के साथ इस पुस्तक में सीधी और सरल भाषा में समझाई गई हैं।
तहलीना कौल
नॉन वेजेटेरियन कुक बुक
₹75.00
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विशुद्ध भारतीय परम्परा के कुछ सामिष व्यंजन ऐसे हैं जिन्हें हर मिष्ठान सूप या भोजन-विद्या विशेषज्ञ अपने ‘खाना-खजाना’ में रखना चाहेगा। ऐसी कौन-सी जबान है जो महकती हैदराबादी बिरयानी, धुआं देता कड़कड़ा तन्दूरी चिकन या घुलनधील प्रॉन विण्डालू को देखकर बेताबी से न लपलपाने लगें। यह वो व्यंजन हैं जो बिल्कुल निस्तेज हुई स्वादग्रंथियों में भी आस्वादन की चाह जगा देते हैं और उनके मुंह में भी पानी भरने लगता है।
यह पुस्तक न सिर्फ पुराने व्यंजनों को और सर्वथा नई विधियों और प्रयोगों से उन्हें बनाने का प्रयत्न करती है वरन कई एक व्यंजनों के इर्द-गिर्द सदियों से प्रचलित भ्रम भी तोड़ती है कि इन्हें हर कोई नहीं बना सकता। वे सारी व्यंजन-विधियां अपनी पूरी विशिष्टता और प्रयोगात्मकता के साथ इस पुस्तक में सीधी और सरल भाषा में समझाई गई हैं।
तहलीना कौल
Author | Tehlina Kaul |
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ISBN | 8171825192 |
Pages | 112 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Fusion Books |
ISBN 10 | 8171825192 |