पयामे हस्ती

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डॉ. नरसिंह श्रीवास्तव का जन्म 5 अगस्त, 1932 ई. को जनपद सिद्धार्थ नगर की तहसील डुमरिया गंज के ग्राम महतिनियां बुजुर्ग में एक सम्भ्रांत परिवार में हुआ था। उच्च शिक्षा (बी.ए. 1953 और अंग्रेजी साहित्य में एम. ए. 1955) इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सम्पन्न हुई। अंग्रेजी कवि डब्ल्यू. एच. ऑडेन की कविता पर लिखित उनके शोधग्रंथ पर पीएच. डी. की उपाधि प्रदान की गई। गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में 1958 से 1993 ई. तक शिक्षणकार्य करने के बाद आचार्य एवं अध्यक्ष पद से सेवामुक्त हुए। उन्होंने टी.एस. इलियट के कालजयी प्रबन्ध् काव्य ‘द वेस्ट लैण्ड’ का हिन्दी पद्यानुवाद ‘वन्ध्या ध्रती’ (1980) शीर्षक से प्रकाशित किया। उनकी हिन्दी काव्य कृतियां ‘मुखौटे के नीचे’, ‘खंजड़ी बोल रही है’, ‘चिंतन पर्व’ (खण्ड काव्य, 1991), ‘आओ बात करें’, ‘त्रिशंकु’ (खण्ड काव्य, 1996), ‘अन्तर्द्वन्द्व’ (महाभारत पर आधरित प्रबन्ध् काव्य 1998),‘घर से समुद्र तक’, ‘आंखिन देखी’ एवं ‘बाजार में’ समीक्षकों द्वारा प्रशंसित हुईं। उत्तर प्रदेश के हिन्दी संस्थान ने डॉ. श्रीवास्तव को ‘जयशंकर प्रसाद पुरस्कार’ एवं ‘विजय देवनारायण शाही’ नामित पुरस्कार से सम्मानित किया।

Additional information

Author

डॉ. नरसिंह श्रीवास्तव

ISBN

9789351652939

Pages

272

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

9351652939

डॉ. नरसिंह श्रीवास्तव का जन्म 5 अगस्त, 1932 ई. को जनपद सिद्धार्थ नगर की तहसील डुमरिया गंज के ग्राम महतिनियां बुजुर्ग में एक सम्भ्रांत परिवार में हुआ था। उच्च शिक्षा (बी.ए. 1953 और अंग्रेजी साहित्य में एम. ए. 1955) इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सम्पन्न हुई। अंग्रेजी कवि डब्ल्यू. एच. ऑडेन की कविता पर लिखित उनके शोधग्रंथ पर पीएच. डी. की उपाधि प्रदान की गई। गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में 1958 से 1993 ई. तक शिक्षणकार्य करने के बाद आचार्य एवं अध्यक्ष पद से सेवामुक्त हुए। उन्होंने टी.एस. इलियट के कालजयी प्रबन्ध् काव्य ‘द वेस्ट लैण्ड’ का हिन्दी पद्यानुवाद ‘वन्ध्या ध्रती’ (1980) शीर्षक से प्रकाशित किया। उनकी हिन्दी काव्य कृतियां ‘मुखौटे के नीचे’, ‘खंजड़ी बोल रही है’, ‘चिंतन पर्व’ (खण्ड काव्य, 1991), ‘आओ बात करें’, ‘त्रिशंकु’ (खण्ड काव्य, 1996), ‘अन्तर्द्वन्द्व’ (महाभारत पर आधरित प्रबन्ध् काव्य 1998),‘घर से समुद्र तक’, ‘आंखिन देखी’ एवं ‘बाजार में’ समीक्षकों द्वारा प्रशंसित हुईं। उत्तर प्रदेश के हिन्दी संस्थान ने डॉ. श्रीवास्तव को ‘जयशंकर प्रसाद पुरस्कार’ एवं ‘विजय देवनारायण शाही’ नामित पुरस्कार से सम्मानित किया।

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