पिरामिड क्या है? इसके रचनाकार कौन है? ये क्यों बनाए गये? पिरामिड से क्या लाभ है? इसकी गणितीय संरचना क्या हैं? इसमें त्रिकोणों का ज्यामितीयकरण रेखाशास्त्र का महत्व क्या है? क्या इसका कोई ज्योतिषीय महत्व भी है? क्या ये ज्योतिषीय वेधधालाएं हैं? क्या पिरामिड का भारतीय वास्तुशास्त्र या फेंग शुई से कोई संबंध है। इनका ऐतिहासिक महत्व क्या है? एवं मानव के व्यवहारिक जीवन में पिरामिड की उपयोगिता क्या है? ऐसे बहुत से प्रश्न है जो घुमड़-घुमड़ कर प्रत्येक बुद्धिजीवी प्राणी के मन-मस्तिष्क को तीव्रता से प्रभावित कर रहे हैं। पर हैरानी की बात यह है कि इन सब पर समग्र रूप से कोई पुस्तक नहीं है। हिंदी में तो पिरामिड के बारे में कुछ भी नहीं लिखा गया। हिंदी जगत की यह पहली लेखनी है जिसमें विद्वान लेखक ने इस चुनौती को स्वीकार कर, वास्तु जगत व ज्योतिष जगत को एक नई रोशनी प्रदान की है।
पिरामिडों का सूक्ष्म अध्ययन करने हेतु वे स्वयं मिस्र, इजिप्ट, गिजा, लक्सर, सिंगापुर, हांगहांग अफ्रीका इत्यादि अनेक राष्ट्रों में गये। पिरामिडों की नगरी में रहकर पिरामिडों की नगरी में रहकर पिरामिड पर गहन-अध्ययन व शोध किया। फलस्वरूप यह पुस्तक आपके हाथ में है। ISBN10-8171826296