प्रणव मुख़र्जी

125.00

In stock

Free shipping On all orders above Rs 600/-

  • We are available 10/5
  • Need help? contact us, Call us on: +91-9716244500
Guaranteed Safe Checkout

महापुरुषों का जीवन सदा प्रेरणादायी, आदर्श आचरण से मंडित होता है। समाज वस्तुतः किन्हीं ऐसे महानुभावों के पथ-प्रदर्शन में ही सुख एवं समृति को प्राप्त होता है, जो समाज से उपर उठकर समाज कल्याणकारी कार्यों में लगे रहते हैं। स्वार्थी तो सभी होते हैं परन्तु इतिहास उन महापुरुषों को याद करता है, जो परमार्थ में आकंठ डूबे होते हैं तथा सच्चरित्रा की मिसाल बनते हैं। प्रणव मुखर्जी का राष्ट्रपति पद पर सुशोभित होना भारतीय इतिहास का रोचक एवं महत्त्वपूर्ण प्रसंग है। चार दशक से अधिक राजनीति में सक्रिय रहने वाले बंगाली मोशाय ने अपने सद्व्यवहार, सहिष्णुता, बन्धुत्व एवं विद्वता से सभी का मन जीता है। क्या यह विलक्षण बात नहीं है कि विपक्ष के दिग्गजों ने भी प्रणव बाबू की भूरि-भूरि प्रशंसा की है तथा पार्टी-लाइन से बाहर निकलकर उन्हें अपना वोट भी दिया। भारतीय राजनीति को नई दिशा देने वाले प्रणव किसी भी विभाग में रहे हों, उन्होंने प्राणपन से अपने पद की गरिमा को बनाए रखा है। अब राष्ट्रपति बनकर उनका अपना कद तो बढ़ा ही, देश का स्वाभिमान भी गौरवान्वित हुआ है।

प्रणव मुख़र्जी-0
प्रणव मुख़र्जी
125.00

महापुरुषों का जीवन सदा प्रेरणादायी, आदर्श आचरण से मंडित होता है। समाज वस्तुतः किन्हीं ऐसे महानुभावों के पथ-प्रदर्शन में ही सुख एवं समृति को प्राप्त होता है, जो समाज से उपर उठकर समाज कल्याणकारी कार्यों में लगे रहते हैं। स्वार्थी तो सभी होते हैं परन्तु इतिहास उन महापुरुषों को याद करता है, जो परमार्थ में आकंठ डूबे होते हैं तथा सच्चरित्रा की मिसाल बनते हैं। प्रणव मुखर्जी का राष्ट्रपति पद पर सुशोभित होना भारतीय इतिहास का रोचक एवं महत्त्वपूर्ण प्रसंग है। चार दशक से अधिक राजनीति में सक्रिय रहने वाले बंगाली मोशाय ने अपने सद्व्यवहार, सहिष्णुता, बन्धुत्व एवं विद्वता से सभी का मन जीता है। क्या यह विलक्षण बात नहीं है कि विपक्ष के दिग्गजों ने भी प्रणव बाबू की भूरि-भूरि प्रशंसा की है तथा पार्टी-लाइन से बाहर निकलकर उन्हें अपना वोट भी दिया। भारतीय राजनीति को नई दिशा देने वाले प्रणव किसी भी विभाग में रहे हों, उन्होंने प्राणपन से अपने पद की गरिमा को बनाए रखा है। अब राष्ट्रपति बनकर उनका अपना कद तो बढ़ा ही, देश का स्वाभिमान भी गौरवान्वित हुआ है।

Additional information

Author

Sudarshan Bhatia

ISBN

9789350831632

Pages

96

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

9350831635