प्रेम की प्‍यास

30.00

अगर तुम भी प्रभु के प्रेम के प्‍यासे हो, तो उससे मिले बिना रुकना मत। तलाश जारी रखना, छोड़ना नहीं। साधना जारी रखना, छोड़ना नहीं। ध्‍यान जारी रखना, छोड़ना नहीं। सिमरन जारी रखना, उसे छोड़ मत देना। अपनी मंजिल तक पहुंचने से पहले अगर तुम रुक गए, तो समझ्‍ लो, फिर जिंदगी तुम्‍हारी बेकार गई। क्‍या मिला फिर।

Additional information

Author

Anandmurti Guru Maa

ISBN

8128815105

Pages

64

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128815105

अगर तुम भी प्रभु के प्रेम के प्‍यासे हो, तो उससे मिले बिना रुकना मत। तलाश जारी रखना, छोड़ना नहीं। साधना जारी रखना, छोड़ना नहीं। ध्‍यान जारी रखना, छोड़ना नहीं। सिमरन जारी रखना, उसे छोड़ मत देना। अपनी मंजिल तक पहुंचने से पहले अगर तुम रुक गए, तो समझ्‍ लो, फिर जिंदगी तुम्‍हारी बेकार गई। क्‍या मिला फिर।

ISBN10-8128815105

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