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प्रेम है द्वार सत्‍य का

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ओशो द्वारा सूफी, झेन एवं उपनिषद की कहानियों एवं बोध-कथाओं पर दिए गए सुबोधगम्‍य 19 अमृत-प्रवचनों की श्रृंखला ‘बिन बाती बिन तेल’ में से संकलित पांच (6 से 10) प्रवचन है। जिसके अनुसार तो मार्ग ध्‍यानियों का है। बुद्ध, महावीर, पतंजलि उसके शिखर हैं। एक मार्ग प्रेमियों का है। और प्रेमी कहते हैं कि जब तक तुम्‍हारे जीवन में प्रेम का पागलपन न आया, प्रेम की मस्‍ती न आई, तब तक तुम्‍हारा अहंकार मिटेगा कैसे? ध्‍यानी का जोर है कि दूसरे पर तुम निर्भर रहो तो तुम परतंत्र हो। प्रेमी का जोर है कि अगर तुम बिलकुल स्‍वतंत्र होने की कोशिश करो तो तुम्‍हारा अहंकार कैसे मिटेगा? तुम ही बच रहोगे आखिर में, वहीं तुम्‍हारा शुद्ध अहंकार होगा। और अहंकार ही बाधा है। प्रेम की कीमिया में ही अहंकार पिघलता है। प्रेम की आग में ही अहंकार जलता है।

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प्रेम है द्वार सत्‍य का
175.00 Original price was: ₹175.00.174.00Current price is: ₹174.00.

प्रेम है द्वार सत्‍य का

Additional information

Author

Osho

ISBN

8171825281

Pages

168

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171825281