बनिये बेस्ट पैरेंट्स
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- About the Book
- Book Details
मेरे पहले बच्चे का जन्म मई माह के अंत में हुआ इसलिए मैं उसे तकरीबन हर रोज पार्क ले जाती थी। उसके लिए वहाँ ताजी हवा और धूप थी, मुझे पार्क की बैंचों पर बैठी उन स्त्रिायों से मिलने का मौका मिलता, जो कुछ समय पहले ही माँ बनी थीं। मुझे यह जानने में देर नहीं लगी कि उनके शिशुओं ने उनके कामकाजी जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था, उनके शिशुओं के डायपर (लंगोट) दिनभर गीले रहते थे जिससे शाम को उनके लाड़ले ज्यादा चिड़चिड़े हो जाते थे और माता-पिता को पूरा समय उनकी चिड़चिड़ाहट दूर करने में ही चला जाता। उनके पास अपने लिए कोई समय नहीं बचता था। मुझे यह जान कर बड़ा सुकून मिला कि मेरा बच्चा ही ऐसा नहीं था जिसने डॉ स्पॉक की किताब पढ़ कर, उस पर अमल नहीं किया। मुझे उन माताओं से मिलकर न केवल सहारा मिला बल्कि कई नई बातें भी सीखने को मिलीं। मुझे जल्द ही आभास हो गया कि उनसे काफी अच्छी जानकारी ली जा सकती है।
Additional information
Author | Renu Saran |
---|---|
ISBN | 9789351652199 |
Pages | 48 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 935165219X |
मेरे पहले बच्चे का जन्म मई माह के अंत में हुआ इसलिए मैं उसे तकरीबन हर रोज पार्क ले जाती थी। उसके लिए वहाँ ताजी हवा और धूप थी, मुझे पार्क की बैंचों पर बैठी उन स्त्रिायों से मिलने का मौका मिलता, जो कुछ समय पहले ही माँ बनी थीं। मुझे यह जानने में देर नहीं लगी कि उनके शिशुओं ने उनके कामकाजी जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था, उनके शिशुओं के डायपर (लंगोट) दिनभर गीले रहते थे जिससे शाम को उनके लाड़ले ज्यादा चिड़चिड़े हो जाते थे और माता-पिता को पूरा समय उनकी चिड़चिड़ाहट दूर करने में ही चला जाता। उनके पास अपने लिए कोई समय नहीं बचता था। मुझे यह जान कर बड़ा सुकून मिला कि मेरा बच्चा ही ऐसा नहीं था जिसने डॉ स्पॉक की किताब पढ़ कर, उस पर अमल नहीं किया। मुझे उन माताओं से मिलकर न केवल सहारा मिला बल्कि कई नई बातें भी सीखने को मिलीं। मुझे जल्द ही आभास हो गया कि उनसे काफी अच्छी जानकारी ली जा सकती है।
ISBN10-935165219X