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भारत के महान युग प्रवर्तक स्‍वामी श्रद्धानंद

60.00

हिन्‍दू समाज में अनेक प्रकार की बुराइयां तथा अंधविश्‍वास भरे पड़े हैं। शैशवावस्‍था में इसका ज्ञान नहीं हो पाता। जब शिशु किशोर और युवक बनता है तो उसमें तर्कशक्ति का विकास होता है। फिर वह समाज में व्‍याप्‍त सभी रूढ़ियों, कुप्रथाओं, और अन्‍धविश्‍वासों को अपनी तर्क-तुला पर तोलता है। तुला का जो पलड़ा भारी होता है वही उसका मान्‍य मार्ग बन जाता है। हिन्‍दू धर्म में वैष्‍णव, शैव, शाक्‍त, सनातन धर्म आदि अनेक सम्‍प्रदाय बनाकर लोगों के मनों में भ्रम पैदा कर रहे हैं। उस भ्रम को दूर करने के लिए स्‍वमी दयानंद सरस्‍वती ने आर्य समाज का बीज-वमन किया तथा स्‍वामी श्रद्धानंद ने उसे खाद-पानी देकर पल्‍लवित-पुष्पित करने का अथक प्रयास किया। ‘समाज सुधारक स्‍वामी श्रद्धानंद’ पुस्‍तक में स्‍वामी श्रद्धानंद के मनोमंथन, उथल-पुथल, अंग्रेज शासन के विरोध आदि पर विजय प्राप्‍त कर हिन्‍दू समाज में ‘आर्यसमाज’ के वृक्ष को लहलहाते हुए देखने का पूरा विवरण प्रस्‍तुत है।

Additional information

Author

Uma Chaturvedi

ISBN

8128817302

Pages

104

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128817302

हिन्‍दू समाज में अनेक प्रकार की बुराइयां तथा अंधविश्‍वास भरे पड़े हैं। शैशवावस्‍था में इसका ज्ञान नहीं हो पाता। जब शिशु किशोर और युवक बनता है तो उसमें तर्कशक्ति का विकास होता है। फिर वह समाज में व्‍याप्‍त सभी रूढ़ियों, कुप्रथाओं, और अन्‍धविश्‍वासों को अपनी तर्क-तुला पर तोलता है। तुला का जो पलड़ा भारी होता है वही उसका मान्‍य मार्ग बन जाता है। हिन्‍दू धर्म में वैष्‍णव, शैव, शाक्‍त, सनातन धर्म आदि अनेक सम्‍प्रदाय बनाकर लोगों के मनों में भ्रम पैदा कर रहे हैं। उस भ्रम को दूर करने के लिए स्‍वमी दयानंद सरस्‍वती ने आर्य समाज का बीज-वमन किया तथा स्‍वामी श्रद्धानंद ने उसे खाद-पानी देकर पल्‍लवित-पुष्पित करने का अथक प्रयास किया। ‘समाज सुधारक स्‍वामी श्रद्धानंद’ पुस्‍तक में स्‍वामी श्रद्धानंद के मनोमंथन, उथल-पुथल, अंग्रेज शासन के विरोध आदि पर विजय प्राप्‍त कर हिन्‍दू समाज में ‘आर्यसमाज’ के वृक्ष को लहलहाते हुए देखने का पूरा विवरण प्रस्‍तुत है।

ISBN10-8128817302