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‘मत्स्य पुराण’ मूलत वैष्णव मत से संबंधित है। प्रलयकाल के समय भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार धारण कर वैवस्वत मनु तथा सप्तर्षियों की प्राण-रक्षा की थी। उस समय मनु की नौका सहित जल में विहार करते हुए मत्स्यरूपी भगवान् विष्णु ने वैवस्तव मनु तथा सप्तर्षियों को जो परम कल्याणकारी उपदेश दिया था, उसी उपदेश का इस पुराण में विस्तृत विवेचन किया गया है। इसलिए इस पुराण को मत्स्यपुराण कहा गया है।
Author | Dr. Vinay |
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ISBN | 8128806785 |
Pages | 128 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128806785 |
‘मत्स्य पुराण’ मूलत वैष्णव मत से संबंधित है। प्रलयकाल के समय भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार धारण कर वैवस्वत मनु तथा सप्तर्षियों की प्राण-रक्षा की थी। उस समय मनु की नौका सहित जल में विहार करते हुए मत्स्यरूपी भगवान् विष्णु ने वैवस्तव मनु तथा सप्तर्षियों को जो परम कल्याणकारी उपदेश दिया था, उसी उपदेश का इस पुराण में विस्तृत विवेचन किया गया है। इसलिए इस पुराण को मत्स्यपुराण कहा गया है।
ISBN10-8128806785
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