मनुस्मृति
मनुस्मृति
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‘मनुस्मृति’ वह धर्मशस्त्रा है जिसकी मान्यता जग-विख्यात है। न केवल देश में अपितु विदेशों में भी प्रमाणों के आधर पर निर्णय होते रहे हैं और आज भी होते हैं। अतः धर्मशस्त्रा के रूप में मनुस्मृति को विश्व की अमूल्य निधि माना जाता है।
भारत में वेदों के उपरान्त सर्वाधिक मान्यता और प्रचलन ‘मनुस्मृति’ का ही है। इसमें चारों वर्णों, चारों आश्रमों, सोलह संस्कारों तथा सृष्टि उत्पत्ति के अतिरिक्त राज्य की व्यवस्था, राजा के कर्त्तव्य, भांति-भांति के विवादों, सेना का प्रबंन्ध आदि उन सभी विषयों पर परामर्श दिया गया है जो कि मानव-मात्रा के जीवन में घटित होने सम्भव हैं। यह सब धर्म-व्यवस्था वेद पर आधरित है। मनु महाराज के जीवन और उनके रचनाकाल के विषय में इतिहास-पुराण स्पष्ट नहीं हैं। तथापि सभी एक स्वर से यह स्वीकार करते हैं कि मनु आदिपुरुष थे और उनका यह शास्त्रा आदि-शास्त्रा है। क्योंकि मनु की समस्त मान्यताएं सत्य होने के साथ-साथ देश, काल तथा जाति के बन्धनों से रहित हैं।
Additional information
Author | Triloki Nath Chaturvedi |
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ISBN | 8128805940 |
Pages | 472 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128805940 |