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मार्कण्डेय पुराण
Author | Vinay |
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ISBN | 8128805681 |
Pages | 152 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128805681 |
मार्कण्डेय पुराण में महर्षि मार्कण्डेय का व्यासजी के शिष्य जैमिनी के साथ संवाद है, इसलिए इस पुराण को ‘मार्कण्डेयपुराण’ कहा गया है।
मार्कण्डेय पुराको-शाक्यसम्प्रदाय’ का पुराण कहा गया है। इसका प्रमुख कारण है- इसमें भगवती दुर्गा के चरित्र तथा दुर्गा सप्तशती का विस्तृत वर्णन। दुर्गा सप्तशतीके तीनों पौराणिक आख्यानों का वर्णन होने के कारण यह पुराण साधारणजन में अत्यंत लोकप्रिय है।
इस पुराण में अनेक छोटे-छोटे कथानकों द्वारा व्यक्तियोंको धर्म और कर्म के प्रति सावधान किया गया है। चौदह मनुओंव मन्वंतरों का रोचकऔर विस्तृत वर्णन मार्कण्डेय पुराण के अतिरिक्त और कहीं पढ़नेको नहीं मिलता। जहां पतिव्रता मदालसा के माध्यमसे शासक-वर्ग को न्यायपर्वक शासन करने का पाठ पढ़ाया गया है, वहीं सुबुद्धि और सुमति के माध्यम से मृत्यु के बाद जीव की गति, नरक-यातना, पुनर्जन्म आदि︎ का सूक्ष्म वर्णन किया गया है। ISBN10-8128805681
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