Mukt Gagan Ke Panchi
मुक्त गगन के पंक्षी
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‘ ओशो द्वारा सूफी, झेन एवं उपनिषद की कहानियों एवं बोध-कथाओं पर दिए गए सुबोधगम्य 19 अमृत-प्रवचनों की श्रृंखला ‘बिन बाती बिन तेल’ में से संकलित पांच (16 से 19) प्रवचन।
जिसके अनुसार बुद्धों के पास तुम पंख फड़फड़ाना न सीखो तो और कुछ सीखने को वहां है भी नहीं।
यही तो प्रवचन है यही उनका संदेश है, कि तुम उड़ सकते हो मुक्त आकाश में। तुम मुक्त गगन के पक्षी हो। तुम व्यर्थ ही डरे हो। तुम भूल ही गए हो कि तुम्हारे पास पंख हैं तुम पैरों से चल रहे हो। तुम आकाश में उड़ सकते थे। थोड़ा फड़फड़ाओ ताकि तुम्हें भरोसा आ जाए।
ध्यान फड़फड़ाहट है पंखों की, उन पंखों की जो उड़ सकते हैं, दूर आकाश में जा सकते हैं
Additional information
Author | Osho |
---|---|
ISBN | 8171822290 |
Pages | 176 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171822290 |
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