मुझसा दीवाना

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कहते हैं कि लोग तो ताउम्र नहीं सीख पाते। गर मिल जाए कोई सबक सीखने के लिए तो एक लम्हा भी काफी है। पेशे से व्यवसायी सचिन आरंभ से ही व्यापार के अभ्यस्त रहे हैं। काव्य में अत्यधिक रूचि होते हुए भी उन्हें कभी काव्य अभिव्यक्ति के लिए समय ही नहीं मिला, परन्तु ट्टशालिनी’ के रूप में उन्हें एक ऐसा उपहार मिला जिससे उनकी दुनिया में बहार आ गयी लेकिन ईश्वर को शायद उनकी खुशी अधिक समय तक रास नहीं आई। उसने ट्टशालिनी’ को अपने पास बुलाकर उन्हें तनहा छोड़ दिया। यह एक ऐसा गहरा सदमा था जिससे ऊबरने के लिए सचिन ने कलम उठायी। शायद वह इसके माध्यम से ट्टशालिनी’ के प्रति अपने प्रेम और पीड़ा को आप सभी के साथ साझा करना चाहते हैं। बहरहाल, उम्मीद है कि उनकी कलम से निकले जज़्बात आपके दिल में भी ज़्ारूर कसक पैदा करेंगे।

मुझसा दीवाना-0
मुझसा दीवाना
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मुझसा दीवाना

Additional information

Author

"Shalini" Sachin

ISBN

9789351656166

Pages

174

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

9351656160