योग सर उपनिषद

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उपनिषद के यह अदि्वीय भाष्‍य परम पावन श्री श्री के वेगिस (स्विटरलैंड) में सच्‍चे साधकों को विभिन्‍न शीर्षकों के अंतर्गत दिऐ गए ओजपूर्ण प्रवचनों के अंश है।
जिसके अनुसार भक्‍त कहते है कि ‘गुरु के पास बैठना-यही उपनिषद है। इस सामीप्‍य में ही आपको बहुत कुछ भाषित हो जाता है। अकथनीय ग्रहीत हो जाता है, अवर्णीय हृदयंगम हो जाता है। इस स्थिति में वाक् तो वाहन मात्र हैं। शब्‍दों के मध्‍य के मौन में ही बहुत कुछ घटित हो जाता है——- ऊर्जा उतरती है——कृपा बरसती है——आनंद व्‍याप्‍ता——– और इस से जीवन का रुपांतरण हो जाता है। ISBN10-8128823248

योग सर उपनिषद

Additional information

Author

Shri Shri Ravishankar Ji

ISBN

9790000000000

Pages

224

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Sri Sri Publications Trust

ISBN 10

8128823248