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राह के फूल

150.00

प्रस्तुत ‘राह के फूल’ शृंखला पाठकों के लिए एक गुलदस्ता है यह ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के स्तंभ ‘स्पीकिंग ट्री’ में धरावाहिक रूप से प्रकाशित सद्गुरु द्वारा मुखरित आलेखों का संग्रह है। वर्षों से, इन रचनाओं ने एकरसता और अशांति मे घिसरते जन समुदाय के जीवन में नित्य प्रति सौंदर्य, हास्य, स्पष्टता और विवेक की शीतल झरी प्रवाहित की है। स्टॉक बाजार के बदलते मौसम और अंतर्राष्ट्रीय मसलों से संबंधित पृष्ठ, पाठकों के जीवन में आशातीत अंतराष्ट्रीय और सुकून पैदा करने वाले सिद्ध हुए हैं। सद्गुरु के मौलिक विचारों, स्पष्ट टिप्पणियों और समसामयिक मसलों पर दिए गए बयानों ने कभी-कभी विवाद उत्पन्न किए हैं, किन्तु उनसे राष्ट्रीय बहस में अलग रंगत और जीवंतता का संचार हुआ है। रूढ़ियों और परम्परागत विचारों के उफपर नए दृष्टिकोण जगाकर पाठकों को चौंका देने वाली ये रचनाएं, अपनी सौम्य सुगंध् से भोर को भिगोते फूलों की ही तरह उत्साह और प्रेरणा प्रदान करती है।
दृष्टि के आगे फैले खिले-खिले फूलों की तरह इनमें आग्रहपूर्ण आमंत्राण है। सुवास का आमंत्राण – सुवास जो चिढ़ाती है, बावरा कर देती है और मदहोश बना देती है। सुवास जो हमें याद दिलाती है कि जीवन अपने गहराई में, कोई उलझी पहेली नहीं है, बल्कि एक राज है जिसे अनुभव किया जाए।

ISBN10-8128839756

150.00

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प्रस्तुत ‘राह के फूल’ शृंखला पाठकों के लिए एक गुलदस्ता है यह ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के स्तंभ ‘स्पीकिंग ट्री’ में धरावाहिक रूप से प्रकाशित सद्गुरु द्वारा मुखरित आलेखों का संग्रह है। वर्षों से, इन रचनाओं ने एकरसता और अशांति मे घिसरते जन समुदाय के जीवन में नित्य प्रति सौंदर्य, हास्य, स्पष्टता और विवेक की शीतल झरी प्रवाहित की है। स्टॉक बाजार के बदलते मौसम और अंतर्राष्ट्रीय मसलों से संबंधित पृष्ठ, पाठकों के जीवन में आशातीत अंतराष्ट्रीय और सुकून पैदा करने वाले सिद्ध हुए हैं।
सद्गुरु के मौलिक विचारों, स्पष्ट टिप्पणियों और समसामयिक मसलों पर दिए गए बयानों ने कभी-कभी विवाद उत्पन्न किए हैं, किन्तु उनसे राष्ट्रीय बहस में अलग रंगत और जीवंतता का संचार हुआ है। रूढ़ियों और परम्परागत विचारों के उफपर नए दृष्टिकोण जगाकर पाठकों को चौंका देने वाली ये रचनाएं, अपनी सौम्य सुगंध् से भोर को भिगोते फूलों की ही तरह उत्साह और प्रेरणा प्रदान करती है।
दृष्टि के आगे फैले खिले-खिले फूलों की तरह इनमें आग्रहपूर्ण आमंत्राण है। सुवास का आमंत्राण – सुवास जो चिढ़ाती है, बावरा कर देती है और मदहोश बना देती है। सुवास जो हमें याद दिलाती है कि जीवन अपने गहराई में, कोई उलझी पहेली नहीं है, बल्कि एक राज है जिसे अनुभव किया जाए।
सद्गुरु हमारे समय के एक दिव्यदर्शी, योगी, युगद्रष्टा, मानवतावादी और एक अलग किस्म के आध्यात्मिक गुरु हैं। एक आधुनिक गुरु, जो जितनी गहराई से सांसारिक वस्तुओं से जुड़े हैं उतनी ही गहराई से आंतरिक अनुभव एवं ज्ञान से भी जुड़े हैं और निरंतर सभी के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक कल्याण के लिए अथक कार्य कर रहे हैं। जीवन की प्रक्रियाओं के उपर सद्गुरु की दक्षता उनके गहन आत्मिक अनुभव का ही परिणाम है, जिससे वे जीवन के सूक्ष्मतर आयामों की खोज करने वाले लोगों का मार्गदर्शन करते हैं।

Additional information

Author

Satguru

ISBN

9788128839757

Pages

432

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128839756

SKU 9788128839757 Category