₹150.00
भारतीय जीवन-धारा में जिन गं्रथों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। पुराण-साहित्य भारतीय जीवन और साहित्य की अक्षुण्ण निधि हैं। इनमें मानव जीवन के उत्कर्ष और अपकर्ष की अनेक गाथाएं मिलती हैं। कर्मकांड से ज्ञान की ओर आते हुए भारतीय मानस चिंतन के बाद भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हुई। विकास की इसी प्रक्रिया में बहुदेववाद और निर्गुण ब्रह्म की स्वरूपात्मक व्याख्या से धीरे-धीरे भारतीय मानस अवतारवाद या सगुण भक्ति की ओर प्रेरित हुआ। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी देवताओं को केन्द्र मान कर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएं कही गई हैं। आज के निरन्तर द्वन्द्व के युग में पुराणों का पठन मनुष्य को उस द्वन्द्व से मुक्ति दिलाने में एक निश्चित दिशा दे सकता है और मानवता के मूल्यों की स्थापना में एक सफल प्रयास सिद्ध हो सकता है। इसी उद्देश्य को सामने रख कर पाठकों की रूचि के अनुसार सरल, सहज भाषा में पुराण साहित्य की शृंखला में यह पुस्तक प्रस्तुत है।
Author | Vinay |
---|---|
ISBN | 812880734X |
Pages | 128 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Ankur Pablication |
ISBN 10 | 812880734X |
भारतीय जीवन-धारा में जिन गं्रथों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। पुराण-साहित्य भारतीय जीवन और साहित्य की अक्षुण्ण निधि हैं। इनमें मानव जीवन के उत्कर्ष और अपकर्ष की अनेक गाथाएं मिलती हैं। कर्मकांड से ज्ञान की ओर आते हुए भारतीय मानस चिंतन के बाद भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हुई। विकास की इसी प्रक्रिया में बहुदेववाद और निर्गुण ब्रह्म की स्वरूपात्मक व्याख्या से धीरे-धीरे भारतीय मानस अवतारवाद या सगुण भक्ति की ओर प्रेरित हुआ। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी देवताओं को केन्द्र मान कर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएं कही गई हैं।िए लिखी गयी है यह ज़ीरो ऑयल कुक बुक। ज़ीरो ऑयल से बने हुए व्यंजन स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक हैं। आपको क्या चाहिए ‘तेल या स्वाद’?
सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बिमल छाजेड़ का दावा है कि हृदय की धमनीयों में आई रुकावटों के लिए बाइपास सर्जरी आवश्यक नहीं है। यह कोई स्थाई समाधान नहीं देती। वर्तमान में इस रोग से ग्रस्त रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इस रोग का मुख्य कारण तनाव है। हृदयरोग से ग्रस्त लोगों को अपने खान-पान का उचित ध्यान रखना चाहिए। योग एवं ध्यान जैसी ‘विधाओं’ के द्वारा डॉ. छाजेड़ ने अनेक रोगियों को इस भयानक रोग से मुक्ति दिलाई है। वे रोगियों को बिना तेल का भोजन ग्रहण करने की सलाह देते हैं।
— जनसत्ता
ISBN10-8189182560
ISBN10-812880734X