वारिस तथा अन्‍य कहानियां

75.00

‘वारिस तथा अन्‍य कहानियां’ रामचन्‍द्र भावे की मूल कन्‍नड़ कहानियां है। इसका अनुवाद श्री डी. एन. श्रीनाथ ने किया है। रामचन्‍द्र भावों ने इन कहानियों को कई आयाम दिए है उनकी कुछ कहानियां मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक हैं तो कई रिश्‍तों पर आधारित सभी कहानियों का मूल आधार परिवार है। उसकी गरिका एवं मजबूती के लिए उन्‍होंने कहानियों में कई मोड़ दिए हैं वारिस कहानी में एक मंदिर के पुजारी की हत्‍या कर पिता द्वारा पश्‍चाताप के आंसू नहीं निकल पाते लेकिन पछतावा सदैव रहा। इस कारण अपने पुत्र को उस धन का वारिस नहीं बनाना उसकी नियति है। पिता की मौत के बाद पुजारी की हत्‍या का रहस्‍य उजागर होता है। उनकी सभी कहानियां अंत में सोचने पर विवश करती हैं। यही कहानियों की विशेषता भी है। इस पुस्‍तक में संकलित सभी कहानियां मध्‍यवर्गीय समाज की देन हैं। इस संकलन में कुल पंद्रह कहानियां हैं।

Additional information

Author

Ramchandra Bhave

ISBN

8128814966

Pages

136

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128814966

‘वारिस तथा अन्‍य कहानियां’ रामचन्‍द्र भावे की मूल कन्‍नड़ कहानियां है। इसका अनुवाद श्री डी. एन. श्रीनाथ ने किया है। रामचन्‍द्र भावों ने इन कहानियों को कई आयाम दिए है उनकी कुछ कहानियां मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक हैं तो कई रिश्‍तों पर आधारित सभी कहानियों का मूल आधार परिवार है। उसकी गरिका एवं मजबूती के लिए उन्‍होंने कहानियों में कई मोड़ दिए हैं वारिस कहानी में एक मंदिर के पुजारी की हत्‍या कर पिता द्वारा पश्‍चाताप के आंसू नहीं निकल पाते लेकिन पछतावा सदैव रहा। इस कारण अपने पुत्र को उस धन का वारिस नहीं बनाना उसकी नियति है। पिता की मौत के बाद पुजारी की हत्‍या का रहस्‍य उजागर होता है। उनकी सभी कहानियां अंत में सोचने पर विवश करती हैं। यही कहानियों की विशेषता भी है। इस पुस्‍तक में संकलित सभी कहानियां मध्‍यवर्गीय समाज की देन हैं। इस संकलन में कुल पंद्रह कहानियां हैं।

SKU 9788128814969 Categories , Tags ,