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समय-समय पर शिक्षा की जिन समस्याओं पर लेखक ने विचार किया उन्हीं संदर्भों का यह पुस्तक संक्षिप्त संग्रह है। इस पुस्तक का नाम ‘समग्र-शिक्षा’ इसलिए दिया गया है कि आज देश में जो शिक्षा है वह एकांगी शिक्षा है उससे बच्चों का संपूर्ण विकास नहीं हो पाता। इस पुस्तक में कोई ऐसा सूत्र नहीं है जो शिक्षा की समस्याओं का निराकरण कर सकेगा। इस पुस्तक में समग्र शिक्षा से संबंधित प्रश्न हैं जिससे शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों को जगाने का प्रयास किया गया है। इस पुस्तक को पाठक पहली सीढ़ी मानकर समग्र-शिक्षा यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं। उनकी जागृत उत्कंठा ही उनको उद्देश्य तक पहुंचा सकती है।
आर्चाय सुदर्शनजी महाराज
Author | Marmar Mukhopadhyay |
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ISBN | 9790000000000 |
Pages | 120 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128822012 |
समय-समय पर शिक्षा की जिन समस्याओं पर लेखक ने विचार किया उन्हीं संदर्भों का यह पुस्तक संक्षिप्त संग्रह है। इस पुस्तक का नाम ‘समग्र-शिक्षा’ इसलिए दिया गया है कि आज देश में जो शिक्षा है वह एकांगी शिक्षा है उससे बच्चों का संपूर्ण विकास नहीं हो पाता। इस पुस्तक में कोई ऐसा सूत्र नहीं है जो शिक्षा की समस्याओं का निराकरण कर सकेगा। इस पुस्तक में समग्र शिक्षा से संबंधित प्रश्न हैं जिससे शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों को जगाने का प्रयास किया गया है। इस पुस्तक को पाठक पहली सीढ़ी मानकर समग्र-शिक्षा यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं। उनकी जागृत उत्कंठा ही उनको उद्देश्य तक पहुंचा सकती है।
आर्चाय सुदर्शनजी महाराज
ISBN10-8128822012