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इस पुस्तक के द्वितीय भाग में उनके द्वारा समय-समय पर रचित साईं भक्ति से ओत-प्रोत कविताएं दी गई हैं। ये वे कविताएं हैं जिन्हें त्रिपाठी जी ने वर्तमान अवसर हम सबके आराध्यदेव भगवान श्री सत्य साईं बाबा के प्रति अपने हृदय की गहराइयों से उठने वाली उत्कट आभारपूर्ण तथा साथ ही साथ उपलम्भ से ओत-प्रोत भावनाओं से प्रेरित होकर रचित किया था।
Author | Sushil Bharti |
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ISBN | 8128802380 |
Pages | 216 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128802380 |
इस पुस्तक के द्वितीय भाग में उनके द्वारा समय-समय पर रचित साईं भक्ति से ओत-प्रोत कविताएं दी गई हैं। ये वे कविताएं हैं जिन्हें त्रिपाठी जी ने वर्तमान अवसर हम सबके आराध्यदेव भगवान श्री सत्य साईं बाबा के प्रति अपने हृदय की गहराइयों से उठने वाली उत्कट आभारपूर्ण तथा साथ ही साथ उपलम्भ से ओत-प्रोत भावनाओं से प्रेरित होकर रचित किया था। ISBN10-8128802380