वास्तव में भगवान श्री साईं नाथ इस जगत के सबसे बड़े नियंता है। अनेक लोगों को प्रकाश प्रदान करने वाला सूर्य उनके वश में है- क्योंकि सूर्य भी साईं श्री की आज्ञा के अनुसार उदय और अस्त होता है। आज के इस प्रगतिशील युग में हर प्राणी की अपनी नैतिक उलझने उसके समक्ष अपना विकराल मुख खोले खड़ी हैं ऐसी अवस्था में प्रत्येक प्राणी अपनी चमत्कारिक प्रगति चाहता है। किंतु इस युग में केवल वही प्राणी और परिवार सुखी है, जिसने साईं श्री के चरणों में पूर्ण रूप से शरण ले ली है जो भी प्राणी अपने मन, वचन और कर्म उनकी साधना और चिंतन करता है, उसे सदा ही मानसिक, शारीरिक और आर्थिक सुखों की प्राप्ति होती है। फिर उसे अपने मोक्ष की राह स्वत ही स्पष्ट नजर आने लगती है।
सुशील भारती
साईं चिंतन
₹40.00
In stock
Other Buying Options
वास्तव में भगवान श्री साईं नाथ इस जगत के सबसे बड़े नियंता है। अनेक लोगों को प्रकाश प्रदान करने वाला सूर्य उनके वश में है- क्योंकि सूर्य भी साईं श्री की आज्ञा के अनुसार उदय और अस्त होता है। आज के इस प्रगतिशील युग में हर प्राणी की अपनी नैतिक उलझने उसके समक्ष अपना विकराल मुख खोले खड़ी हैं ऐसी अवस्था में प्रत्येक प्राणी अपनी चमत्कारिक प्रगति चाहता है। किंतु इस युग में केवल वही प्राणी और परिवार सुखी है, जिसने साईं श्री के चरणों में पूर्ण रूप से शरण ले ली है जो भी प्राणी अपने मन, वचन और कर्म उनकी साधना और चिंतन करता है, उसे सदा ही मानसिक, शारीरिक और आर्थिक सुखों की प्राप्ति होती है। फिर उसे अपने मोक्ष की राह स्वत ही स्पष्ट नजर आने लगती है।
सुशील भारती
ISBN10-817182191X
Additional information
Author | Sushil Bharti |
---|---|
ISBN | 817182191X |
Pages | 184 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 817182191X |
Related Products
Related products
Social Media Posts
This is a gallery to showcase images from your recent social posts