सूफी काव्य परंपरा में बुल्लेशाह का नाम बहुत ही आदर और मान से लिया जाता है। आज से वर्षों पूर्व सामाजिक कुरीतियों, धर्मो के आपसी विद्षों व कर्मकांडों के मध्य अपनी काफियों के माध्यम से जन-जागरण का संदेश देने वाले बाबा बुल्लेशाह आज भी हमारे हृदय में जीवित हैं। यद्यपि उन्होंने दोहों, बारहमाहों, सीहरफी व गंढों आदि की रचना भी की, किंतु वे अपनी कालजयी काफियों के माध्यम से ही जनसमुदाय में अपनी गहरी पैठ बनाए हुए हैं। संयोग, विरह, प्रेम की उत्कट अभिव्यक्ति, रहस्यवाद, उपदेश आदि के रंगों से सराबोर इन काफियों की मिठास वर्णनातीत है। हमारी जनश्रुतियों, मौखिक गाथाओं व स्थानीय मुहावरों के बीच चलते बुल्लेशाह को पलभर के लिए भुलाया नहीं जा सकता। आज भी उनकी वाणी उतनी ही प्रासंगिक व सार्थक है, जितनी कभी पहले रही होगी।
सूफी सत बुल्लेशाह और उनकी शायरी
₹250.00 Original price was: ₹250.00.₹249.00Current price is: ₹249.00.
In stock
Other Buying Options
सूफी काव्य परंपरा में बुल्लेशाह का नाम बहुत ही आदर और मान से लिया जाता है। आज से वर्षों पूर्व सामाजिक कुरीतियों, धर्मो के आपसी विद्षों व कर्मकांडों के मध्य अपनी काफियों के माध्यम से जन-जागरण का संदेश देने वाले बाबा बुल्लेशाह आज भी हमारे हृदय में जीवित हैं। यद्यपि उन्होंने दोहों, बारहमाहों, सीहरफी व गंढों आदि की रचना भी की, किंतु वे अपनी कालजयी काफियों के माध्यम से ही जनसमुदाय में अपनी गहरी पैठ बनाए हुए हैं। संयोग, विरह, प्रेम की उत्कट अभिव्यक्ति, रहस्यवाद, उपदेश आदि के रंगों से सराबोर इन काफियों की मिठास वर्णनातीत है। हमारी जनश्रुतियों, मौखिक गाथाओं व स्थानीय मुहावरों के बीच चलते बुल्लेशाह को पलभर के लिए भुलाया नहीं जा सकता। आज भी उनकी वाणी उतनी ही प्रासंगिक व सार्थक है, जितनी कभी पहले रही होगी।
Additional information
Author | Rachna Bhola 'Yamini' |
---|---|
ISBN | 9789351654384 |
Pages | 216 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 9351654389 |
Related Products
Related products
Social Media Posts
This is a gallery to showcase images from your recent social posts