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सौरव दा

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धनी परिवार में जन्‍में सौरव को क्रिकेट विरासत में मिली। पापा भी क्रिकेटर थे और भाई भी। 19 साल की उम्र में भारतीय टीम में तो आ गए थे, जल्‍दी ही बाहर भी हो गए……. लेकिन 1996 में दोबारा टीम में आने के बाद से वह जम गए हैं रम गए हैं। वह जितने अच्‍छे क्रिकेटर है। उतने अच्‍छे कप्‍तान भी। काश। उनकी टीम 2003 का वर्ल्‍ड कप जीत जाती। कोशिशें तो हुई थीं, लेकिन जीत नहीं पाई।
इस पुस्‍तक द्वारा यह जानकारी देने वाले राजशेखर मिश्र खेल तथा अन्‍य विषयों पर एक दर्जन किताबें लिख चुके हैं। बाबू मोशाय की जीवन गाथा का विश्‍लेषण इस पुस्‍तक द्वारा आप भी कीजिए।

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सौरव दा

Additional information

Author

Rajshekhar Mishra

ISBN

8128808354

Pages

160

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128808354

SKU 9798128808356 Categories ,