Hum Sab Lakadhare Hain
हम सब लकड़हारे हैं
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हम सब लकड़हारे हैं,
कहीं ना कहीं हत्यारे हैं।
कुछ जीवन संवारे हैंं,
तो कुछ जीवन मारे हैंंंं।
भूख से जीवन तड़प रहे,
भूखे ममता से हारे हैं।।
हम सब लकड़हारे हैं….
कहीं खीझ के मारे हैं,
कहीं रीझ के मारे हैं।
घर में आटा दाल नहीं,
चूल्हे में अंगारे हैं।।
हम सब लकड़हारे हैं…
हम सब लकड़़हारे हैं।
ISBN10-9351659305
Additional information
Author | Hariom Sharma |
---|---|
ISBN | 9789351659303 |
Pages | 96 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 9351659305 |
SKU
9789351659303
Categories Books, Hindi Poetry
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