डॉ. अजस जनमेजय बच्चों के कुशल चिकित्सक ही नहीं, कुशल कवि भी हैं। डॉ. जनमेजय में बाल साहित्यकार के वे सारे गुण उसी प्रकार छिपे हुए हैं, जैसे एक बीज में भारी-भरकम पौधे के सारे गुण छिपे रहते हैं। डॉ. अजय जनमेजय के प्रथम बालकाव्य–संग्रह ‘अक्कड़-बक्कड़ हो हो हो’ का बालसाहित्य-जगत में व्यापक स्वगत हुआ, उस पर कई पुरस्कार प्राप्त हुए। आज जब बाल साहित्यकर के नाम पर ढेर सारा कूड़ा-कचरा लिखकर खपाया जा रहा है, ऐसी स्थिति में भी कुछ बाल साहित्यकार बड़ी निष्ठा और लगन से बाल साहित्य की मशाल जलाए हुए हैं। डॉ. अजय जनमेजय ऐसे ही बाल साहित्यकार हैं, जो अपने निश्छल स्वभाव और रचनाधर्मिता के बल पर साहित्य के मंच पर स्थापित हुए हैं। डॉ. अजय का दूसरा बालकाव्य संग्रह –हरा समुंदर गोपी चंदर’ उनके प्रथम काव्य-संग्रह का सोपान बिंदु है। इस संग्रह की कविताओं में विविधता है। कवि का मन कहीं लोरियों में रखा है तो कहीं शिशु गीतों की निश्छलता पर रीझा है, कहीं कंप्यूटर, पैपटॉप और क्लोन की बात है तो कहीं पहेलियोंके माध्यम से आत्माभिव्यक्ति का सार्थक प्रयास है।
हरा समुंदर गोपी चंदर
₹80.00
डॉ. अजस जनमेजय बच्चों के कुशल चिकित्सक ही नहीं, कुशल कवि भी हैं। डॉ. जनमेजय में बाल साहित्यकार के वे सारे गुण उसी प्रकार छिपे हुए हैं, जैसे एक बीज में भारी-भरकम पौधे के सारे गुण छिपे रहते हैं। डॉ. अजय जनमेजय के प्रथम बालकाव्य–संग्रह ‘अक्कड़-बक्कड़ हो हो हो’ का बालसाहित्य-जगत में व्यापक स्वगत हुआ, उस पर कई पुरस्कार प्राप्त हुए। आज जब बाल साहित्यकर के नाम पर ढेर सारा कूड़ा-कचरा लिखकर खपाया जा रहा है, ऐसी स्थिति में भी कुछ बाल साहित्यकार बड़ी निष्ठा और लगन से बाल साहित्य की मशाल जलाए हुए हैं। डॉ. अजय जनमेजय ऐसे ही बाल साहित्यकार हैं, जो अपने निश्छल स्वभाव और रचनाधर्मिता के बल पर साहित्य के मंच पर स्थापित हुए हैं। डॉ. अजय का दूसरा बालकाव्य संग्रह –हरा समुंदर गोपी चंदर’ उनके प्रथम काव्य-संग्रह का सोपान बिंदु है। इस संग्रह की कविताओं में विविधता है। कवि का मन कहीं लोरियों में रखा है तो कहीं शिशु गीतों की निश्छलता पर रीझा है, कहीं कंप्यूटर, पैपटॉप और क्लोन की बात है तो कहीं पहेलियोंके माध्यम से आत्माभिव्यक्ति का सार्थक प्रयास है।
ISBN10-8128803808
Additional information
Author | Ajay Janamjai |
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ISBN | 8128803808 |
Pages | 160 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128803808 |