Hitopadesh
हितोपदेश
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‘ यह मान्यता प्रचलित रही है कि हितोपदेश को पढ़ने और सुनने से मनुष्य की बोलचाल में प्रवीणता और वार्तालाप में विचित्रता आती है। इससे नीति विद्या का भी ज्ञान बढ़ता है। जो इसको एक बार पढ़ लेता है उसको विद्वानों की मंडली में किसी प्रकार का संकोच नहीं होता। जिस प्रकार मिट्टी के नए बरतन पर बना चिन्ह चिरस्थाई होता है उसी प्रकार कहानियों के माध्यम से जो नीति और ज्ञान की बातें सीखी जाती हैं उनका प्रभाव अमिट रहता है। हितोपदेश में मित्र लाभ, सुहृदभेद, विग्रह और संधि जैसे चार प्रकरणों का संग्रह किया गया है। इन चार प्रकरणों में विभिन्न नीति ग्रंथों का सार समाया हुआ है।
Additional information
Author | Ashok Kaushik |
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ISBN | 8171823572 |
Pages | 216 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171823572 |