हैलो मां

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‘मैं पाट नहीं हूं और न तुम गेहूं हो। यदि कहना है तो अपने को ढेंकुरी में रखा धान कहो, जिसे पहरुआ बना बेटा कूट रहा है।‘- इसी पुस्‍तक से
हिन्दी साहित्य में एम.ए. रोशन प्रेमयोगी एक प्रतिष्ठित पत्रकार एवं लेखक के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है। लेखक की भारतीय राष्ट्रवाद संगठित विश्वास का संकट, अयोध्या बदलीनहीं, कबीर का धर्म, चिड़िया घर, पागलदास इत्यादि रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। रोशन प्रेमयोगी को सर्जना सम्मान-१९९८, कथा-साहित्य सम्मान-२००० व पत्रकारिता सम्मान-२००३ प्राप्त हुए हैं।
प्रस्तुत उपन्यास मे लेखक ने विद्रोही स्वभाव के नायक का चित्रण किया है। नायक सीमांत विद्रोही स्वभाव-वश ही कम्प्यूटर इंजीनियर होने के बावजूद चित्रकला के क्षेत्र में रूचि रखता है। सीमांत को जब यह पता चलता है कि उसकी जन्मदात्री मां कोई और है तो उसके मन में अपने पिता के प्रति वितृष्णा जन्म ले लेती है। वह इसी उग्र विद्रोही स्वभाव की प्रतिमूर्ति में परिवर्तित हो जाता है। इस उपन्यास में चित्रकार की कोमल भावनाएं रखने वाले नायक के मन में अपनी जन्मदात्री मां से मिलने की तड़प व चाहत का अत्यंत मार्मिक चित्रण है।

Additional information

Author

Roshan Premyogi

ISBN

8128803441

Pages

168

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128803441

‘मैं पाट नहीं हूं और न तुम गेहूं हो। यदि कहना है तो अपने को ढेंकुरी में रखा धान कहो, जिसे पहरुआ बना बेटा कूट रहा है।‘- इसी पुस्‍तक से
हिन्दी साहित्य में एम.ए. रोशन प्रेमयोगी एक प्रतिष्ठित पत्रकार एवं लेखक के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है। लेखक की भारतीय राष्ट्रवाद संगठित विश्वास का संकट, अयोध्या बदलीनहीं, कबीर का धर्म, चिड़िया घर, पागलदास इत्यादि रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। रोशन प्रेमयोगी को सर्जना सम्मान-१९९८, कथा-साहित्य सम्मान-२००० व पत्रकारिता सम्मान-२००३ प्राप्त हुए हैं।
प्रस्तुत उपन्यास मे लेखक ने विद्रोही स्वभाव के नायक का चित्रण किया है। नायक सीमांत विद्रोही स्वभाव-वश ही कम्प्यूटर इंजीनियर होने के बावजूद चित्रकला के क्षेत्र में रूचि रखता है। सीमांत को जब यह पता चलता है कि उसकी जन्मदात्री मां कोई और है तो उसके मन में अपने पिता के प्रति वितृष्णा जन्म ले लेती है। वह इसी उग्र विद्रोही स्वभाव की प्रतिमूर्ति में परिवर्तित हो जाता है। इस उपन्यास में चित्रकार की कोमल भावनाएं रखने वाले नायक के मन में अपनी जन्मदात्री मां से मिलने की तड़प व चाहत का अत्यंत मार्मिक चित्रण है।
ISBN10-8128803441

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