अमृत वर्षा

30.00

याद रहे, गोविन्‍द को तुम्‍हारी आरती नहीं, गोविंद को तुम्‍हारा भाव चाहिए। ईश्‍वर को तुम्‍हारे नियम नहीं, ईश्‍वर को तुम्‍हारा प्रेम चाहिए। पर हम ईश्‍वर को गीत तो सुना देते हैं, पर भाव नहीं देते। इसीलिए सारा जीवन निकल जाने के बाद भी हम उसे प्रेम की दिव्‍यता का बोध नही कर पाते हैं। जीवन अधूरा ही रह जाता है।

Additional information

Author

Anandmurti Guru Maa

ISBN

8128815024

Pages

48

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128815024

याद रहे, गोविन्‍द को तुम्‍हारी आरती नहीं, गोविंद को तुम्‍हारा भाव चाहिए। ईश्‍वर को तुम्‍हारे नियम नहीं, ईश्‍वर को तुम्‍हारा प्रेम चाहिए। पर हम ईश्‍वर को गीत तो सुना देते हैं, पर भाव नहीं देते। इसीलिए सारा जीवन निकल जाने के बाद भी हम उसे प्रेम की दिव्‍यता का बोध नही कर पाते हैं। जीवन अधूरा ही रह जाता है।

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