यह पुस्तक ‘ओशो की मधुशाला में बच्चन’ श्री बच्चन जी और स्वामी अगेह भारती जी के अंतरंग क्षणों की उपलब्धि है, ऐसे अंतरंग क्षणों की, जैसे दो कबूतर अपने घोंसले में बैठे गुटर-गूं, गूटर-गूं करते बिताते हैं। श्री बच्चन (डॉ. हरवंशराय बच्चन) एक ऐसी जीवन-दृष्टि के कवि हैं जो अभी समय की सीमा में अभिव्यक्ति नहीं हुई थी या कि जो अभी गर्भावस्था में ही थी और जिसे अभिव्यक्त करने के लिए एक ऐसा संवेदनशील हृदय चाहिए जो सत्य की दूर बजती नूपुर-ध्वनियों को सुन सके। ‘अगेह जी’ एक कविता है, जिंदा कविता, एक ऐसी कविता, जिसमें जीवन के अगम्य शिखर झलकते हैं। ओशो की मधुशाला के फक्कड़ पियक्कड़ है स्वामी अगेह भारती। यही पियक्कड़ मधुशाला के गायक श्रीयुत् बच्चनजी को भी इस मधुशाला में ले आया है। आदरणीय बच्चन जी की मधुशाला हजारों हृदयों पर लिखी गई है।
ओशो की मधुशाला में बच्चन
₹40.00
यह पुस्तक ‘ओशो की मधुशाला में बच्चन’ श्री बच्चन जी और स्वामी अगेह भारती जी के अंतरंग क्षणों की उपलब्धि है, ऐसे अंतरंग क्षणों की, जैसे दो कबूतर अपने घोंसले में बैठे गुटर-गूं, गूटर-गूं करते बिताते हैं। श्री बच्चन (डॉ. हरवंशराय बच्चन) एक ऐसी जीवन-दृष्टि के कवि हैं जो अभी समय की सीमा में अभिव्यक्ति नहीं हुई थी या कि जो अभी गर्भावस्था में ही थी और जिसे अभिव्यक्त करने के लिए एक ऐसा संवेदनशील हृदय चाहिए जो सत्य की दूर बजती नूपुर-ध्वनियों को सुन सके। ‘अगेह जी’ एक कविता है, जिंदा कविता, एक ऐसी कविता, जिसमें जीवन के अगम्य शिखर झलकते हैं। ओशो की मधुशाला के फक्कड़ पियक्कड़ है स्वामी अगेह भारती। यही पियक्कड़ मधुशाला के गायक श्रीयुत् बच्चनजी को भी इस मधुशाला में ले आया है। आदरणीय बच्चन जी की मधुशाला हजारों हृदयों पर लिखी गई है।
ISBN10-8128803301
Additional information
Author | Ageh Bharti |
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ISBN | 8128803301 |
Pages | 408 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128803301 |