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ओशो हंसे खेलें ना करें मन भंग
Author | Chaitanya Kirti |
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ISBN | 8171822436 |
Pages | 288 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171822436 |
हंसिबा खेलिबा धरिबा ध्यानं। लेकिन जिसको यह अनुभव हो गया है, उसके जीवन में तुम्हें कुछ चीजें दिखाई पड़ने लगेंगी। बड़े प्यारे वचन हैं, बड़े गहरे वचन हैं। हंसिबा खेलिबा धरिबा ध्यानं—-। उसे तुम देखोगे हंसते हुए, खेलते हुए। जीवन उसके लिए लीला हो गया। उसे गंभीर नहीं पाओगे। यह कसौटी है सद्गुरु की। उसे तुम गंभीर और उदास नहीं पाओगे। तुम उसे हंसता हुआ पाओगे।
उसके लिए सब हंसी-खेल है, सब लीला है।
प्रस्तुत पुस्तक में ओशो द्वारा गोरख-वाणी पर दिए गए बीस अमृत प्रवचन को संकलित किया गया है।