कथा सरित सागर
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संस्कृत कथा साहित्य की उत्पत्ति वैदिक साहित्य से मानी जाती है। ॠग्वेद के दसवे मंडल में अनेक आख्यान है, जो विकसित रूप में पुराण, महाभारत आदि में पाए जाते हैं इसके बाद भी कथा साहित्य निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होता रहा। ‘कथासरित्सागर’ के लेखक सोमदेव कश्मीरी ब्राह्मण थे। इस कथा ग्रंथ का रचना काल ग्यारहवी शताब्दी रहा है। इस ग्रंथ की रचना कश्मीर की महारानी सूर्यमती के मनोविनोद के लिए की गई थी।, ऐसा माना जाता है। आकाश की दृष्टि से कथा सरित्सागर विश्व के दो प्रसिद्ध महाकाव्य ‘इलियड’ और ‘ओडिसी’से प्राय दुगुना है। यह ग्रंथ उठारह खंडों में विभक्त है, जिन्हें लंबक कहा जाताहै। इनमें धार्मिक, पुनर्जन्म राजा, राजकुमार आदि के साथ ही धूर्तों, दुष्टों, मूर्खों, पाखंडियों आदि की भी रोचक कथाएं हैं। हां, कथा सरित्सागर में एक कथा प्रसंग विशेष से दूसरी कथा का तथा दूसरी से तीसरी का जन्म होताहै, जिससे प्राय पाठक पूर्व कथा-प्रसंग को भूल जाता है, अत इस हिंदी रूपांतरमें प्रत्येक कथा को स्वतंत्ररूप में प्रस्तुत किया गया है। आशा है हमारे इस प्रयास से पाठको का मनोरंजन के साथ ही ज्ञानवर्धन भी होगा।
Additional information
Author | Bhawan Singh Rana |
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ISBN | 8128813854 |
Pages | 192 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128813854 |
संस्कृत कथा साहित्य की उत्पत्ति वैदिक साहित्य से मानी जाती है। ॠग्वेद के दसवे मंडल में अनेक आख्यान है, जो विकसित रूप में पुराण, महाभारत आदि में पाए जाते हैं इसके बाद भी कथा साहित्य निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होता रहा। ‘कथासरित्सागर’ के लेखक सोमदेव कश्मीरी ब्राह्मण थे। इस कथा ग्रंथ का रचना काल ग्यारहवी शताब्दी रहा है। इस ग्रंथ की रचना कश्मीर की महारानी सूर्यमती के मनोविनोद के लिए की गई थी।, ऐसा माना जाता है। आकाश की दृष्टि से कथा सरित्सागर विश्व के दो प्रसिद्ध महाकाव्य ‘इलियड’ और ‘ओडिसी’से प्राय दुगुना है। यह ग्रंथ उठारह खंडों में विभक्त है, जिन्हें लंबक कहा जाताहै। इनमें धार्मिक, पुनर्जन्म राजा, राजकुमार आदि के साथ ही धूर्तों, दुष्टों, मूर्खों, पाखंडियों आदि की भी रोचक कथाएं हैं। हां, कथा सरित्सागर में एक कथा प्रसंग विशेष से दूसरी कथा का तथा दूसरी से तीसरी का जन्म होताहै, जिससे प्राय पाठक पूर्व कथा-प्रसंग को भूल जाता है, अत इस हिंदी रूपांतरमें प्रत्येक कथा को स्वतंत्ररूप में प्रस्तुत किया गया है। आशा है हमारे इस प्रयास से पाठको का मनोरंजन के साथ ही ज्ञानवर्धन भी होगा।
ISBN10-8128813854
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